[2]मुगल साम्राज्य का पतन और विघटन S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi

मुगल साम्राज्य का पतन और विघटन S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi
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इस पोस्ट में हम आपको chapter 2 मुगल साम्राज्य का पतन और विघटन S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi सरल शब्दों में उपलब्ध करा रहे है। ये नोट्स विद्यार्थियों के सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी होगा। यह S.K Pandey Aadhunik Bharat Book-UPSC, UPPCS, SSC, Railway, Banking,TGT,PGT,LT GRADE,GIC अन्य परीक्षाओं में पूछे जाने वाले G.K प्रश्नों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

यह नोट्स S.K Pandey आधुनिक भारत की बुक की सहायता से तैयार किया गया है। और यह हिंदी माध्यम में उपलब्ध है। ये नोट्स विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और सरल भाषा में बनाया गया है ताकि आसानी से याद हो सके।

S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes उन विद्यार्थियों के लिए उपयोगी रहेगा जो उपरोक्त में से किसी एक एग्जाम की तैयारी कर रहे है। और उन्हें S.K Pandey Aadhunik Bharat Book के नोट्स बनाने में आसानी रहेगी। अगर विद्यार्थी नोट्स नहीं भी बनाना चाहते है तो इस लेख से आसानी से revision कर सकते है या इसका Pdf Telegram Group में join होकर प्राप्त कर सकते है।

अगर आप इस नोट्स में कुछ add करवाना चाहते है या कोई गलती बताना चाहते है तो comment करके बता सकते है। इसलिए पोस्ट को अंत तक पढ़ें।

मुगल साम्राज्य का पतन और विघटन S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi

  • औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 ई को अहमदनगर में हुई थी उस समय उसके तीन पुत्र जीवित थे – मुअज्जम,आजम, कामबक्श।
  • औरंगजेब राज्य के बंटवारे के लिए वसीयत लिख गया था जिससे उत्तराधिकार का युद्ध ना हो।

औरंगजेब की मृत्यु के समय-

  • मुअज्जम – अफगानिस्तान में जमरूद नामक स्थान पर था।
  • आजम – अहमदनगर में
  • कामबख्श – बीजापुर में
  • मुअज्जम सीधा दिल्ली आया रास्ते में बहादुरशाह के नाम से अपने को बादशाह घोषित किया।
  • कामबक्श ने बीजापुर में अपने को बादशाह घोषित किया।
  • आजम ने आगरा पर अधिकार करने के लिए आगरा के पास जजाऊ में शिविर लगाया।
जजाऊ का युद्ध (18 June 1707 ईस्वी)

बहादुरशाह+ आजम । बहादुरशाह विजय

बीजापुर का युद्ध (1709 ईस्वी)

बहादुरशाह + कामबक्श। बहादुरशाह विजय

बहादुरशाह प्रथम (मुअज्जम) / शाह आलम प्रथम (1707-12)

उपाधि – शाह – ए – बेखबर ( खाफी खाँ द्वारा प्रदत्त)

  • समझौते और मेल मिलाप की नीति का अनुसरण किया।
  • सिखो के 10वे गुरु गोविन्द सिंह के साथ संधि कर एक बड़ा मनसब दिया – मेल मिलाप करने का प्रयास ।
    गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद सिख नेता बंदा बहादुर के नेतृत्व मे पंजाब मे सिखो ने बगावत कर दी। बहादुरशाह ने कारवाई किया।
  • बहादुरशाह ने बुन्देला सरदार छत्रसाल से मेल मिलाप कर लिया ।
  • जाट सरदार चूड़ामन से भी दोस्ती।
  • बहादुरशाह के दरबार मे 1711 ई में डच प्रतिनिधि शिष्ट मंडल जोसुआ केटेलार के नेतृत्व में गया।
  • सिख नेता बंदा बहादुर के विरुद्ध युद्ध करते हुए एक अभियान के दौरान 1712 ई में बहादुरशाह प्रथम की मृत्यु हो जाती है।
  • बहादुरशाह के चार पुत्र थे- जहाँदरशाह, अजीम उस शान, रफी उस शान , जहांशाह।
  • इनमें उत्तराधिकार का युद्ध हुआ और जहाँदरशाह विजयी रहा क्योंकि ईरानी दल के नेता जुल्फिकार खां का समर्थन मिला।
जहाँदरशाह (1712-1713ई)
  • जहाँदार शाह ने अपने लगभग एक वर्ष के कार्यकाल (1712-1713) में हिंदू और मराठा राजाओं से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखा।
  • उसने आमेर के राजा जयसिंह को ‘मिर्जा राजा’ की पदवी दी और मालवा का सूबेदार बनाया।
    मारवाड़ के अजीत सिंह को महाराजा की पदवी दी और गुजरात का सूबेदार बनाया।
  • जहाँदार शाह के समय जजिया कर पर रोक लगा दी गई।
  • जहाँदार शाह ने वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिये राजस्व वसूली का कार्य ठेके पर देने की नई व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया, जिसे ‘इजारा व्यवस्था’ कहते हैं।
  • जहाँदारशाह लालकुंवरि नामक वैश्या पर आसक्त था।
  • जहाँदारशाह को ‘लंपट मूर्ख’ भी कहा जाता था।
  • 1713 ई. में जहाँदार शाह के भतीजे फर्रुखसियर ने सैय्यद बंधुओं के सहयोग से बादशाह को सिंहासन से अपदस्थ कर हत्या करवा दी।

अब्दुल्ला खाँ एवं हुसैन अली बाराह थे। सैय्यद बंधुओं के विरोधी नेताओं में तूरानी दल के चिनकिलिच खाँ (निजाम-उल-मुल्क) ए अमीन खाँ का प्रमुख योगदान था। इन्हीं के प्रयासों से मुहम्मद शाह रंगीला के समय में इन दोनों भाइयों की हत्या कर दी गई।

फर्रुखसियर (1713-1719 ई)
  • फर्रुखसियर के शासनकाल में सैय्यद बंधु अब्दुल्ला खाँ ‘वजीर’ तथा हुसैन अली ‘मीरबख्शी’ के पद पर नियुक्त हुए।
  • सैय्यद बंधुओं ने जजिया कर पूर्णतः समाप्त कर दिया और तीर्थयात्रा कर की समाप्ति।
  • 1717 ई. फर्रुखसियर ने एक फरमान के जरिये अंग्रेजों को व्यापारिक छूट प्रदान की। इसे कंपनी का ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है।
  • फर्रुखसियर के कार्यकाल में ही सिख नेता बंदाबहादुर को दिल्ली में फांसी दे दी गई।
  • सैय्यद बंधुओं ने 1719 ई में फर्रुखसियर को सिंहासन से अपदस्थ कर अंधा करवा दिया।
  • मुगल साम्राज्य के इतिहास में किसी अमीर द्वारा किसी मुगल बादशाह की हत्या का यह पहला उदाहरण था।
  • इसके बाद रफी उद् दरजात शासक बना।
रफी – उद् – दरजात (28 feb से 4 june 1719 ई)
  • यह सबसे कम समय तक शासन करने वाला मुगल शासक था।
  • सैय्यद बन्धुओ ने इसे गद्दी पर बिठाया ।
  • मृत्यु क्षयरोग (टी.बी ) से हुई।
रफी- उद् – दौला (6 june- 17 sep 1717 ई)
  • रफी – उद् – दरजात की मृत्यु के बाद सैय्यद बंधुओं ने इसे गद्दी पर बिठाया।
  • उपाधि – शाहजहां द्वितीय
  • अफीम का आदी
  • दूसरा सबसे कम समय तक शासन करने वाला मुगल सम्राट
  • पेचिश बीमारी से मृत्यु।
मुहम्मद शाह (1719-1748 ई)
  • उपनाम – रौशन अख्तर
  • उपाधि – रंगीला
  • सैय्यद बंधुओं का अंत हुआ।
  • इसके काल में निज़ामुलमुल्क ने हैदराबाद की नींव डाली।
  • सआदत खाँ ने अवध , मुर्शीदकुली खाँ ने बंगाल , चूड़ामन व बदन सिंह ने भरतपुर में स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली।
  • बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में मराठे 1737 ई में दिल्ली पर चढ़ गए।
  • मुहम्मद शाह के समय फारस के शासक नादिरशाह ने 1739 ई ने दिल्ली पर आक्रमण किया। नादिर शाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है।
अहमद शाह (1748-1754 ई.)
  • अहमद शाह का कार्यकाल अहमद शाह अब्दाली के आक्रमणों के लिये जाना जाता है।
  • 1748 ई में अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किया।
  • अहमदशाह के समय राजकीय कामकाज राजमाता ऊधमबाई के नेतृत्व में था। उसे ‘किबला-ए-आलम’ की उपाधि प्राप्त थी।
  • अहमद शाह ने हिजड़ों के सरदार जावेद खाँ को ‘नवाब बहादुर’ की उपाधि प्रदान की।
  • मराठा सरदार मल्हार राव के सहयोग से इमाद-उल-मुल्क (गाजीउद्दीन) सफदरजंग को अपदस्थ कर मुगल साम्राज्य का वज़ीर बन गया।
  • 1754 ई. में वज़ीर इमाद-उल-मुल्क ने मराठों के सहयोग से अहमद शाह को अपदस्थ कर आलमगीर द्वितीय को मुगल बादशाह बनाया।
  • इमादुलमुल्क ने अहमदशाह को गद्दी से हटाकर अंधा कर जेल में डाल दिया और जहाँदरशाह के पुत्र आलमगीर द्वितीय को गद्दी पर बिठाया।
आलमगीर द्वितीय
  • इसी के समय प्लासी का युद्ध (1757) हुआ।
शाहजहां तृतीय
  • आलमगीर की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य में 2 बादशाह अलग अलग स्थानों पर सिंहासन पर बैठे। बिहार में शाहआलम द्वितीय और दिल्ली में शाहजहां तृतीय।
शाहआलम द्वितीय
  • नाम – अलीगौहर
  • इसके समय पानीपत का युद्ध 1761 और बक्सर का युद्ध 1764 हुआ था।
  • शाहआलम द्वितीय ने क्लाइव को बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी प्रदान की।
  • 1765- 1772 ई तक अंग्रेज का पेंशन भोगी रहा।
  • 1772 ई. में मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने पेंशनभोगी शाहआलम द्वितीय को एक बार फिर राजधानी दिल्ली के मुगल सिंहासन पर बैठाया।
  • शाहआलम द्वितीय के कार्यकाल में ही अंग्रेज़ों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
  • शाहआलम द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र अकबर द्वितीय अगला मुगल बादशाह बना।
अकबर द्वितीय (1806-1837 ई.)
  • अकबर द्वितीय के कार्यकाल तक मुगल बादशाह मात्र लाल किले तक सिमट कर रह गया था।
  • अकबर द्वितीय अंग्रेज़ों के संरक्षण से बनने वाला प्रथम मुगल बादशाह था।
  • अकबर द्वितीय ने ही राममोहन राय को ‘राजा’ की उपाधि दी।
  • 1837 ई. में अकबर द्वितीय की मृत्यु के बाद बहादुर शाह द्वितीय (1837-1857) अंतिम मुगल सम्राट हुआ।
बहादुर शाह द्वितीय (1837-1857 ई.)
  • बहादुर शाह द्वितीय, ‘जफर’ के उपनाम से शायरी लिखा करता था, इसलिये इसे ‘बहादुर शाह जफर’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1857 के संग्राम में विद्रोहियों का साथ देने के कारण रंगून भेज कर दिया गया, जहाँ 1862 ई. में अंतिम मुगल सम्राट की मृत्यु हो गई।
  • यह मुगल साम्राज्य का अंतिम शासक था। इसकी मृत्यु के पश्चात मुगल साम्राज्य का भारत में अंत हो गया।

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