सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के बीच अन्तर-
सामाजिक परिवर्तन का अर्थ क्या है , सामाजिक परिर्वतन की परिभाषा और विशेषताएं के बारे में हम पढ़ चुके है। इस पोस्ट में हम सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच अन्तर को अच्छे से देखेंगे । सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच अन्तर की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच का अंतर अच्छे से समझ आ जायेगा।
सामाजिक परिवर्तन
सामाजिक परिवर्तन मात्र सामाजिक सम्बन्धों में होने वाला परिवर्तन है।
सांस्कृतिक परिवर्तन
सांस्कृतिक परिवर्तन धर्म, ज्ञान, विश्वास, कला, साहित्य, प्रथा, कानून आदि सभी क्षेत्रों में होने वाला परिवर्तन है।
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सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के बीच अन्तर-
सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच निम्नलिखित अन्तर हैं-
(क) सामाजिक परिवर्तन मात्र सामाजिक सम्बन्धों में होने वाला परिवर्तन है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन धर्म, ज्ञान, विश्वास, कला, साहित्य, प्रथा, कानून आदि सभी क्षेत्रों में होने वाला परिवर्तन है।
(ख) सामाजिक परिवर्तन से सामाजिक संरचना में परिवर्तन का बोध होता है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन से संस्कृति के विभिन्न पक्षों में होने वाले परिवर्तनों का बोध होता है।
(ग) सामाजिक परिवर्तन चेतन एवं अचेतन दोनों परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन प्रायः जागरूक प्रयत्नों से घटित होता है।
(घ) सामाजिक परिवर्तन की गति काफी तीव्र भी हो सकती है, जबकि सांस्कृतिक परिवर्तन की गति अपेक्षाकृत कम तीव्र होती है। इसका तात्पर्य यह है कि सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन तेजी से भी हो सकता है, जबकि धर्म, विश्वास, जीवन के मूल्यों आदि में परिवर्तन धीमी रफ्तार से होता है।
इस तरह यह स्पष्ट है कि सामाजिक परिवर्तन एवं सांस्कृतिक परिवर्तन दोनों भिन्न हैं, फिर भी दोनों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। एक-दूसरे पर परिवर्तन का प्रभाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रीति से अवश्य पड़ता है। सामाजिक परिवर्तन एवं सांस्कृतिक परिवर्तन दोनों अलग-अलग हैं या एक हैं, यह अभी तक विवाद का विषय बना हुआ है। यहाँ अन्तिम रूप से कुछ कहना काफी कठिन है, क्योंकि संस्कृति एवं समाज की कोई ऐसी निश्चित परिभाषा नहीं है, जिसे सभी लोग स्वीकार करते हों।
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