हेबरमास का सार्वजनिक क्षेत्र सिद्धांत|हैबरमास सार्वजनिक क्षेत्र

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हेबरमास का सार्वजनिक क्षेत्र सिद्धांत (Habermas’s Public Sphere theory)

हेबरमास का सार्वजनिक क्षेत्र सिद्धांत

जुर्गेन हेबरमास एक जर्मन समाजशास्त्री थे। ये कार्ल मार्क्स से प्रभावित भी थे और उनकी आलोचना भी किए है। इन्होंने संचार , तर्कसंगतता और सामाजिक क्षेत्र जैसे सिद्धांतो में अपना योगदान दिया है। हेबरमास ने अपने अध्ययन काल में अनेक पुस्तके लिखी है जिनमे से कुछ इस प्रकार है –

1) The Structural Transformation of the Public Sphere (1962) 

2) Theory and Practice (1963)

3) On the Logic of the Social Sciences (1967)

4) Toward a Rational Society (1967)

5) Technology and Science as Ideology (1968)

6) Knowledge and Human Interests (1971, German 1968)

7) Legitimation Crisis (1975)

8) Communication and the Evolution of Society (1976)

9) On the Pragmatics of Social Interaction (1976)

10) The Theory of Communicative Action (1981)

11) Moral Consciousness and Communicative Action (1983)

12) Philosophical-Political Profiles (1983)

13) The Philosophical Discourse of Modernity (1985)

14) The New Conservatism (1985)

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम – Indological perspective

हेबरमास का सार्वजनिक क्षेत्र सिद्धांत

हेबरमास ने अपनी पुस्तक “Structural Transformation of the Public Sphere” मे सार्वजनिक क्षेत्र के सिद्धांत की चर्चा की है। हेबरमास के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र वह स्थान है जिसमे स्वायत्त व्यक्ति निजी (पारम्परिक ) क्षेत्र को पार करके सार्वजनिक रूप से एक साथ आते है और अन्तःविषय विमर्श में संलग्न होते है। सार्वजनिक क्षेत्र में व्यक्ति एक दूसरे के सहयोग से करते हैं। यह सार्वजनिक क्षेत्र की विशेषता है जो इसे ऐसा क्षेत्र बनाती है कि जहाँ स्वायत्त व्यक्तियो का सामाजिक एकीकरण संभव है ।

    हेबरमास के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र राज्य और समाज के बीच का मध्यवर्ती क्षेत्र है क्योंकि यह राज्य और समाज के बीच तनाव को तर्कसंगत चर्चा के माध्यम से समाधान और आम सहमति मे खुद को प्रकट करती है।

                   हेबरमास अपने सार्वजनिक क्षेत्र को बुर्जुआ सार्वजनिक क्षेत्र कहते है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के सदस्य संपत्ति के मालिक है, साक्षर बुर्जुआ है जो पारस्परिक हित के मुद्दो पर चर्चा करने के लिए सैलून और काफी हाउस मे एक साथ आते हैं।

           सार्वजनिक क्षेत्र के अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण मानदण्ड इसके सदस्यो के बीच तर्कसंगत संचार की उपस्थिति है । इसके सदस्यों के बीच तर्कसंगत विचार, भाषण, कार्य और आलोचना के लिए स्वतंत्र है। तर्कसंगत, आत्म आलोचनात्मक संचार की अनुमति देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की यह विशेषता अपने सदस्यों के बीच सहयोग और समन्वित कारवाई को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

                                      हेबरमास के लिए बुर्जुआ सार्वजनिक क्षेत्र प्राचीन से आधुनिक समाज में संक्रमण का प्रतीक है क्योंकि इसके सदस्य एक सत्तावादी राज्य की आलोचना करते है जो अधिकारों और शक्तियों पर एकाधिकार करता है साथ इसके सदस्य लोकतांत्रिक राज्य द्वारा अपने सदस्यो के अधिकारों और स्वंतत्रता पर अतिक्रमण के प्रति भी सर्तक रहते हैं।

                    इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र तर्कसंगत आत्मचिंतनशील व्यवहार और आलोचना का क्षेत्र है । यह राज्य की भूमिका पर महत्वपूर्ण संवाद में संलग्न सदस्यों से बना है।

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम – Indological perspective

#Habermas ka sarvajanik chhetra ka siddhant


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