जेंडर और विकास दृष्टिकोण / लिंग और विकास दृष्टिकोण-GAD

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जेंडर और विकास दृष्टिकोण / लिंग और विकास दृष्टिकोण (Gender and Development approach-GAD)



जेंडर और विकास दृष्टिकोण / लिंग और विकास दृष्टिकोण-GAD


पुरुष महिला व विकास (  जेंडर एंड डेवलपमेंट ) 1980 के दशक में डब्ल्यू आई डी दृष्टिकोण (WID) के विकल्प के रूप में आया है। महिलाओं के जीवन के सभी पक्षों का ध्यान करने वाला समग्र दृष्टिकोण है । यह पुरुष और महिला को अलग अलग विशेष भूमिका देने वाले आधारों को चुनौती देता है । यह वस्तुओं के उत्पादन सहित महिलाओं को परिवार में और परिवार से बहर योगदान देने को मान्यता प्रदान करता है । 

इस दृष्टिकोण की निम्नलिखित विशेषताएँ है –

यह सार्वजनिक प्राइवेट तर्को को रद्द करती है । 

• यह परिवार के तथाकथित निजी क्षेत्र में प्रवेश कर परिवार में महिलाओं के उत्पीड़न पर विशेष ध्यान देता है ।



• यह महिलाओं की मुक्ति को बढ़ावा देने में राज्य द्वारा सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने पर बल देता है । 

• महिलाओं को विकास राहत प्राप्त करने वाली निक एजेंट की अपेक्षा परिवर्तन एजेंट के रूप में मानती है । 

• यह विचारधारा अधिक प्रभावकारी राजनीतिक आवाज के लिए महिलाओं के संगठन की आवश्यकता पर जोर देता है ।



 यह दृष्टिकोण बताती है कि पुरुष आधिपत्य महिला उत्पीड़न के लिए वर्ग और वर्गों से परे भी है । यह महिलाओं के वैधानिक पैतृक और भूमि कानूनों को मजबूत करने पर जोर देता है । यह समान में पुरुष और महिलाओं के अव्यवस्थित अधिकार संबंधों की चर्चा करता है । 

जीएडी में इस बात का पता लगाया जाता है कि महिलाओं की स्थिति में सुधारों के लिए महिला और पुरुषों के बीच संबंध तथा उन्हें पुरुषों की स्वीकृति और सहयोग के संदर्भ में उनका विश्लेषण करने की आवश्यकता है ।

यह विचारधारा दर्शाती है कि क्यों यह समझना आवश्यक है किस प्रकार पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता के संबंध महिलाओं को विकास प्रक्रिया से अलग कर देते हैं ।

जी एडी दृष्टिकोण के अनुसार लिंगीध विषय सभी आर्थिक , सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला वाद – विवाद का विषय है । 

इसका उद्देश्य महिलाओं की दोनों व्यावहारिक लिंगीय आवश्यकताओ  जैसे स्वास्थ्य की देखभाल , जल आपूर्ति शिक्षा तथा श्रम बचाने वाली तकनीक को तथा लाभ की वृद्धि सुनिश्चित करने की और संरचनात्मकताओं को दूर करने में सहायक नीतिगत लिंगीय आवश्यकताओं को जानना है । महिलाओं की कार्यनीतियाँ आवश्यकताओं में भूमि स्वामित्व का अधिकार ऋण लेने की सुविधा तथा निर्णय निर्धारक संस्थाओं में सकिन्य भागीदारी शामिल है । व्यावहारिक और नीतिगत लिगीय आवश्यकताएँ परस्पर गहन रूप से संबंधित है क्योंकि एक से दूसरी का जन्म होता है तथा दूसरों को पूरी करना महत्वपूर्ण हो जाता है । उदाहरण के रूप में महिलाओं की वामदनी सुधारने की व्यावहारिक आवश्यकता ऋण प्राप्त करने की नीतिगत आवश्यकता पूरी किए बिना संभव नहीं है । 

जी ए डी दृष्टिकोण महिलाओं को आर्थिक और विकास नीतियों में शामिल करना चाहता है । जब तक महिलाएँ विकास में पुरुषों की वास्तविक भागीदार वाली स्थिति में नहीं पहुंचती तब तक महिलाओं की आवश्यकताओं और संबंधित विषयों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । 

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