सतत विकास क्या है – महत्व और प्रासंगिकता

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सतत विकास और महत्व/ प्रासंगिकता(Sustainable development and Importance or relevance)

सतत विकास क्या है - महत्व और प्रासंगिकता

● सतत विकास सामाजिक आर्थिक विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी की सहनशक्ति के अनुसार विकास की बात की जाती है।
● सतत विकास अंग्रेजी के दो शब्दो sustain +development से मिलकर बना है। Sustain का अर्थ है संभालना या पोषित करना और develeopment का अर्थ है विकास या जीवन की गुणवत्ता में सुधार । 

● सतत विकास की सर्वप्रथम अवधारणा 1987 में विश्व पर्यावरण एवं विकास आयोग (WCED) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट जिसे ब्रंटलैंड रिपोर्ट या our common future  भी कहा जाता है, में दी गई। 
● इस रिपोर्ट के अनुसार — ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओ की पूर्ति इस प्रकार से करता है कि भावी पीढ़ी को अपनी आवश्यकताऐं पूरी करने के लिए किसी प्रकार का समझौता न करना पड़े। सतत विकास कहा जाता है। 
● सतत विकास को हासिल करने के लिए वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सतत विकास लक्ष्य प्रस्तुत किए गए। इसमें 17 Goals और 169 Target निर्धारित किए गए जो वर्ष 2015 से 2030 तक के लिए लक्षित है।
 ● 2021 में sustainable development solutions network (SDSN) द्वारा जारी सतत विकास रिपोर्ट 2021 के 6वें संस्करण के अनुसार भारत 165 देशों में 120 वें स्थान पर है। स्वीडन और डेनमार्क के बाद फिनलैंड सूचकांक में सबसे ऊपर है।

••••• सतत् विकास सूचकांक 2022 मे भारत की रैंक 121 है।

महत्व/ प्रासंगिकता – 


वर्तमान समय  में मनुष्य अधिक से अधिक विकास के लिए अत्यधिक तकनीकी प्रगति की है और सुख सुविधाओ के विविध संसाधनो के उपभोग की वस्तुओं में वृद्धि की है। ऐसी स्थिति मे विकास और प्रगति के नाम पर संसाधनो का अन्धाधुंध दोहन पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है जिससे भूमण्डलीय तापन , ओजोन परत क्षरण , पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन आदि समस्याएँ उत्पन्न हो गयी है जबकि विकास करते समय पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन को ध्यान मे रखा जाना चाहिए । अतः विकास की इस युग मे सतत विकास वर्तमान समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
                मानव जाति का न केवल वर्तमान अपितु भविष्य भी इस पर निर्भर करता है प्राकृतिक संपदा पर केवल वर्तमान पीढ़ी का अधिकार नही है बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी का भी इस पर उतना ही अधिकार है। और यह हमारा दायित्व है कि हम प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखे । 
अतः सतत विकास योजना पर्यावरण संरक्षण और उसमें संतुलन बनाये रखने केलिए बहुत ही बेहतरीन सुझाव है । वर्ष 2015 मे संयुक्त राष्ट्र संघ ने सतत विकास के लिए 17 Goal और 169 target निर्धारित किए है जो 2015 से 2030 तक लक्षित है। इसके अतिरिक्त 2016 के बजट में सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य अभिमान नामक योजना लाई गई जिसके तहत सरकार ने 655 करोड़ रुपये दिये । हाल ही मे भारत सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सतत विकास के लक्ष्यो पर अपनी 3rd रिपोर्ट 2020-21 जारी की । इसके अनुसार केरल टॉप स्थान पर रहा है। इस रिपोर्ट मे राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशो की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति पर प्रदर्शन का आकलन किया जा रहा है।
             इस प्रकार कह सकते है कि वैश्विक विकास की परिचर्चा मे सतत् विकास का भी महत्व बढ़ता जा रहा है। वैश्विक स्तर पर सतत विकास के लक्ष्यो को प्राप्त करने के लिए अनेक विकास किए जा रहे है। और कई योजनाएँ प्रारंभ की जा रही है । इससे स्पष्ट होता है कि सतत विकास वर्तमान में प्रासंगिक है और आने वालो समय मे भी प्रासंगिक रहेगा ।





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