जॉर्ज होमन्स का विनिमय सिद्धांत । George homans exchange theory in hindi

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विनिमय सिद्धांत: जॉर्ज होमन्स (Exchange Theory of George Homans)



जॉर्ज होमन्स का विनिमय सिद्धांत

होमन्स की मान्यता है कि विनिमय के सिद्धान्त का अध्ययन दो समाजशास्त्रीय सम्प्रदाय के आधार पर किया जा सकता है। दोनों सम्प्रदायों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से विनिमय सिद्धांत की व्याख्या और विश्लेषण किया है, जो निम्नलिखित है

1. ब्रिटिश संदर्भ परिधि या व्यक्तिवादी अभिमुखन

2. फ्रांस समूहवादी अभिमुखन



ब्रिटिश व्यक्तिवादी अभिमुखन प्रोटेस्टेंट धर्म से प्रभावित है जबकि फ्रांस समूहवादी अभिमुखन कैथोलिकवादी दृष्टिकोण से प्रभावित है। विनिमय सिद्धान्त की विवेचना हेतु सभी समाज वैज्ञानिकों की धारणा है कि उपरोक्त दोनों परम्पराएँ व्यक्तिवादी एवं समूहवादी अभिमुखन एक दूसरे की विरोधी हैं और पारस्परिक आलोचना का प्रतिफल भी। फलतः दोनों परम्पराओं के मध्य प्रतिकारात्मक या वाद-प्रतिवाद के सम्बन्ध पाए जाते हैं।

पीटर की मान्यता है कि जहां लेवी स्ट्रॉस ने अपने समूहवादी विनिमय सिद्धांत को ममेरे-फुफेरे भाई-बहनों के विवाह पर आधारित फ्रेजर के व्यक्तिवादी विनिमय सिद्धांत के विरोध में विकसित किया था वहीं होमन्स एवं स्नाइडर ने लेवी स्ट्रॉस की समूहवादी मान्यताओं का खण्डन करते हुए अपने विनिमय सिद्धांत को विकसित किया है।

समूहवादी सिद्धान्त को विकसित करने का श्रेय दुखम, मार्शल मॉस और लेवी स्ट्रॉस को है जबकि फ्रेजर, होमन्स, रेडक्लिफ ब्राउन तथा मैलिनॉस्की आदि ने व्यक्तिवादी विनिमय सिद्धान्त को विकसित करने में अपना योगदान किया है। होमन्स का सामाजिक-विनिमय का सिद्धांत व्यक्तिवादी दृष्टिकोण पर आधारित है जिसका अभिप्राय किसी भी समाज में भिन्न व्यक्तियों के मध्य होने वाले आदान-प्रदान व्यक्ति के निजी हितों के एव स्वार्थों से प्रेरित होता है। इसलिए पीटर ने होमन्स के सिद्धान्त को व्यक्तिवादी अभिमुखन का सिद्धांत बताया है और स्वयं होमन्स ने भी अपने को व्यक्ति के स्वहित का सिद्धान्तकार माना है।

होमन्स का सिद्धान्त यह बतलाता है कि विनिमय का लक्ष्य है उपयोगिता पर आधारित होता है। होमन्स मानते हैं कि बिना उपयोगिता के लेन-देन या आदान-प्रदान सम्भव नहीं। अतः प्रत्येक विनिमय की कोई न कोई उपयोगिता अवश्य होती है। जिसका आधार आदान-प्रदान करने वाले व्यक्तियों का व्यक्तिगत स्वार्थ है जिसकी अनुभूति व्यक्ति को आर्थिक तथा मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं के समिश्रण से होती है। होमन्स ने मानसिक या अप्रत्यक्ष लाभ या हितों तथा भौतिक या प्रत्यक्ष हितों में अन्तर किया है। होमन्स की मान्यता है कि यदि हम लागतों और लाभों से मानसिक लागतों और लाभों पर जोर देने लगेंगे तो हम यह अच्छी प्रकार समझ सकेंगे कि लोग जो कार्य कर रहे हैं उसे वे क्यों कर रहे हैं ? उस कार्य के पीछे कर्ता का क्या लक्ष्य है? यह मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण हमें ऐसे लक्ष्यों की ओर ले जायेगा जो वास्तव में भौतिक नहीं है। होमन्स का विश्लेषण मध्यस्तर पर लागत एवं लाभ सम्बन्धी विश्लेषण प्रस्तुत करता है जिसमें उन्होंने सामाजिक जीवन में अभिप्रेरणा के अस्तित्व की खोज करते हुए विनिमय सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। काल्विन जे, लारसन ने लिखा है कि, “होमन्स सामाजिक व्यवहार के विनिमय सिद्धान्त के मान्य प्रारम्भकर्ता हैं।” इस सिद्धान्त में कार्य प्रकार्य एवं परिस्थिति का संयोग है। इसमें द्विपक्षीय अन्तः क्रियात्मक स्वरूप पर विश्लेषणात्मक प्रकाश डालते हुए सामाजिक स्वीकृति और अस्वीकृति के व्यावहारवादी स्त्रोत तलाश किये जाते हैं।

होमन्स ने व्यक्तिवादी सिद्धान्त के 4 लक्षण बताये हैं, जो निम्नवत हैं

1. प्रत्यक्ष सम्बन्ध।

2. नियन्त्रित विनिमय या प्रतिबन्धित विनिमय ।

3. आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं का प्रभाव और

4. विनिमय की जा रही वस्तुओं, सामग्री या इकाइयों का उपयोगितावादी मूल्य



होमन्स के प्रतिबन्धित या नियन्त्रित विनिमय को लेवी स्ट्रॉस ने अप्रत्यक्ष विनिमय कहकर पुकारा है जिसका आशय सामान्यीकृत विनिमय में तीन दलों का होना अनिवार्य बताया है जबकि होमन्स का सिद्धान्त दो व्यक्तियों के मध्य विनिमय तक ही सीमित है। होमन्स कहते हैं कि विनिमय को आदर्श या अमूर्त धरातल पर नहीं समझा जा सकता। इस सिद्धान्त को वास्तविक व्यवहार के क्रियान्वयन द्वारा ही मूर्त या प्रयोग के स्तर पर ही समझा जाना जरूरी है। होमन्स की मान्यता है कि जब एक व्यक्ति कोई कार्य करता है तो वह दूसरे व्यक्ति के व्यवहार द्वारा कम से कम पुरस्कृत या दण्डित किया जाता है। वह गैर मानवीय वातावरण द्वारा भी पुरस्कृत या दण्डित किया जा सकता है। इस प्रकार मौलिक रूप से आमने-सामने भी तथा आदान प्रदान की प्रकृति मानवीय अन्तःक्रिया से सम्बन्ध रखती है। यह व्यवहार, व्यवहार मानक न होकर वास्तविक होना चाहिए। अत: होमन्स वास्तविक व्यवहार के अध्ययन पर बल देते हैं। उनकी रुचि उस प्रक्रिया का परिचय प्राप्त करने में थी, जिसके द्वारा मानक निर्मित किये जाते हैं।



• होमन्स ने कबूतरों पर प्रयोगशाला में किये गये परीक्षणों के दौरान उन कारकों को खोजने का प्रयास किया है जो कबूतर के चुगने के व्यवहार को बनाये रखने तथा निलम्बित करने में – सार्थक होते हैं। यदि चुगने के व्यवहार को पर्याप्त भोजन की प्राप्ति से पुरस्कृत किया जाता है तो परितृप्ति बढ़ने के साथ चुगने की दर कम हो जायेगी। 

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मैलिनॉस्की का विनिमय सिद्धांत

होमन्स तीन मूलभूत शब्दों या अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं

1. गतिविधि,

2. भावनाएँ, तथा

3. अन्तःक्रिया।



होमन्स की गतिविधि पारसंस की क्रिया के लिए हुये है । पारसंस की तरह होमन्स भी व्यक्ति के व्यवहार समतुल्य अर्थ के उस प्रकार में रुचि लेता है जिसके द्वारा अनेक व्यावहारिक विकल्पों में से सबसे अधिक उपयुक्त विकल्प का चयन करता है। भावना से होमन्स का अभिप्राय व्यक्तियों द्वारा दूसरे मानव या मानवों के प्रति सोच या दृष्टिकोण से है उन्हें ही होमन्स ने अपनी कृति में भावनाएँ कहा है जिनकी अभिव्यक्ति अनेक प्रतीकों या गतिविधियों द्वारा होती है, जैसे दांत पीसना या मुट्ठी – बांधना, दूसरे व्यक्ति के प्रति क्रोध का सूचक है तथा आलिंगन है प्यार की अभिव्यक्ति व प्रतीक है। सामाजिक स्वीकृति एवं अस्वीकृति की भावनाएँ होमन्स के लिए विशेष महत्व की है। इसी प्रकार अन्तःक्रिया में दो या से अधिक व्यक्तियों के मध्य सम्बन्धों का होना जिसमें उत्तेजना व संवेदनाओं का होना जरूरी है। साथ ही, अन्तःक्रिया की प्रक्रिया में निरन्तरता का भी होना जरूरी है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों का पारस्परिक प्रभाव देखा जा सके।

होमन्स ने विनिमय सिद्धान्त की तीन प्रमुख मान्यताएँ बताई हैं, जो निम्नवत् हैं –

1. सभी सामाजिक प्रतिष्ठा या सफलता की आशा से अभिप्रेरित होते हैं।

2. अतीत के अनुभव संदिग्धता को कम करते हैं।

 3. व्यक्ति उन सम्बन्धों को बनाये रखना चाहता है जिनके द्वारा वह पुरस्कृत किया जाता है।

होमन्स का व्यक्तिवादी सामाजिक विनिमय का सिद्धान्त इन्हीं तीन अवधारणाओं पर आधारित है। 

यदि हम सफलता की आशा से प्रेरित नहीं होंगे तो विनिमय निरर्थक होगा। सफलता के लिए ही समाज में व्यक्ति अपनी क्रियाओं और व्यवहारों को निर्धारित करते हैं। 

ठीक इसी प्रकार, व्यक्ति अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर उन क्रियाओं या व्यवहारों की पुनरावृत्ति भी नहीं करता जिसके कारण उसे दण्डित होने या दण्ड मिलने की संभावना होती है। 

तीसरी मान्यता बताती है कि व्यक्ति सामान्य रूप से उन्हीं लोगों से अपने सम्बन्ध सूत्र कायम रखना चाहता है जिनके द्वारा उनको लाभ मिलता हो या सुख अथवा संतोष प्राप्त होता है।



होमन्स ने अपने विनिमय के सिद्धान्त की व्याख्या 5 प्राक्कथनों के आधार पर की है, जिन पर उनका पूरा सिद्धान्त आधारित है। ये पांच प्राक्कथन निम्न प्रकार हैं

1. व्यक्ति वर्तमान उद्दीपक के साथ उसी प्रकार व्यवहार करेगा जिस प्रकार वह भूतकाल में करता रहा है यदि वह उससे लाभान्वित हुआ हो अतः कहा जा सकता है कि वर्तमान की गतिविधियां भूतकालीन गतिविधियों द्वारा प्रभावित होती हैं।

2. यदि एक निश्चित समय में एक व्यक्ति के क्रियाकलाप को अन्य व्यक्ति अपने क्रियाकलापों के द्वारा पुरस्कृत करता है तो अन्य व्यक्ति भविष्य में भी प्रायः अपने क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करेगा।

3. एक व्यक्ति किसी क्रिया को बार-बार करेगा यदि उससे मिलने वाला फायदा उसके लिए ज्यादा मूल्यवान है या ऐसी सम्भावना है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति लाभों के प्रति ज्यादा विवेकी हो जाता है।

4. एक व्यक्ति दूसरे या अन्य व्यक्ति से पुरस्कार योग्य क्रियाकलाप पिछले कुछ समय से प्राप्त कर रहा हो तो उस व्यक्ति के लिए उसी क्रियाकलाप की अतिरिक्त इकाई “कम मूल्यवान हो जाती है।”

5. जब किसी व्यक्ति को अपनी गतिविधियों के करने के परिणाम स्वरूप अपेक्षित लाभ (पुरस्कार) नहीं मिलता है तो वह अप्रसन्न हो जाता है और इस तरह की गतिविधि के प्रति आक्रामक होकर लाभ उठा लेता है। वहीं जब उसे अपेक्षा से अधिक लाभ होता है तो वह ऐसी गतिविधियों को न केवल बार-बार करता है वरन् उनका अनुमोदन भी करता है।

आलोचनात्मक मूल्यांकन

होमन्स के विनिमय सिद्धांत को निम्नलिखित आलोचनाओं का विषय बनाया गया है –

1. सिद्धान्त निर्माण के नियम जो होमन्स के द्वारा बतलाये गये हैं वे सामान्य एवं निम्नस्तरीय हैं।

2. होमन्स का सिद्धान्त प्रारम्भिक अर्थशास्त्र और व्यवहारवादी मनोविज्ञान द्वारा प्रभावित एवं सम्बन्धित हैं तथा अस्पष्टता से ग्रस्त है।

3. कुछ अवधारणाएँ जिनमें कि होमन्स ने आशिक परिमार्जन किया है और पुनः उनका प्रयोग किया है, जैसे-आर्थिक मानव, आर्थिक मूल्य, खर्च या लागत लाभ और मूल्य आदि द्वारा मानव व्यवहार का व्याख्या सम्भव नहीं है।

4. मानव व्यवहार का अध्ययन पशु व्यवहार के आधार पर किया जाना तर्कसंगत नहीं है, साथ ही तथ्यरहित . एवं अव्यावहारिक है।

5. होमन्स द्वारा यह प्रदर्शित किया जाना कि समाजशास्त्र मनोविज्ञान का एक अंग है तथा सामाजिक व सांस्कृतिक आभासों का सही अध्ययन पशु एवं मानव मनोविज्ञान के द्वारा किया जा सकता है, एकपक्षीय विचार प्रतीत होता है।

6. होमन्स ने बिना आलोचना के ही अन्य विद्वानों की अवधारणाओं और मान्यताओं को स्वीकार कर लिया जिनमें प्रमुखतः मनोविज्ञान व अर्थशास्त्री शामिल हैं।

7. होमन्स ने अनेक अध्ययनों को बिना किसी कसौटी पर परखे ही स्वीकारा है, जो उचित नहीं |

8. होमन्स को विनिमय सिद्धान्त के प्रतिपादनकर्ता का श्रेय दिया जाता है लेकिन मानवीय अन्तःक्रिया के आभास को विनिमय शब्द द्वारा सम्बोधित करना कोई नई बात नहीं है। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र एवं दर्शनशास्त्र में काफी लंबे समय से इस शब्द का प्रयोग होता रहा है।

9. होमन्स से सिद्धान्त का सार्वभौमीकरण संभव नहीं है, क्योंकि यह दकियानूसी है और वैचारिक स्तर पर कमजोर है।

                    उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद होमन्स का यह सिद्धांत समाजशास्त्रीय विश्लेषण के क्षेत्र में कई रूपों में महत्वपूर्ण है।

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम – Indological perspective

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