चांद को क्यों कहा जाता है मामा। क्यों नहीं कहा जाता चाचा, ताऊ या फूफा?
बचपन में हम अपनी दादी,नानी और मां से ढेर सारी चंदा मामा की कहानियां सोने से पहले सुनते थे। बिना चंदा मामा की कहानियां सुने बिना हमे नींद नहीं आती थी। और चंदा मामा को न केवल हम कहानियां में सुनते थे बल्कि स्कूल की कई पाठ्य पुस्तकों में भी इसकी कविताएँ होती थी। जैसे कि “हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला, सिलवा दो माँ मुझको भी छोटा सा एक झिंगोला”,चंदा मामा दूर के, चंदा मामा की बारात और ऐसी न जाने कितनी ही बाल कविताएं हैं।
इन सबके अलावा चंदा मामा को लेकर गाना भी बने है जैसे चंदा मामा से भी प्यारे हमारे मामा….।
इस प्रकार चांद से जुड़े किस्से-कहानियां , गाने हमेशा हमें आकर्षित और आनंदित करते रहे हैं।
चांद को क्यों कहते हैं मामा-
धार्मिक, पौराणिक कारण
चांद को मामा कहने के पीछे धार्मिक, पौराणिक और भौगोलिक कारण हैं। चांद को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है। चूंकि हम सभी मां लक्ष्मी को अपनी माता के तौर पर संबोधित करते हैं ऐसे में हमारे रिश्तों के लिहाज से देखें तो चांद के साथ रिश्ता मामा वाला हो जाता है। यही कारण है कि चंदा को मामा कहा जाता है।
भौगोलिक कारण
जहां तक इसके भौगोलिक कारण की बात है तो पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह होने की वजह से यह धरती के चारों ओर चक्कर लगाता है और दिन-रात उसके साथ एक भाई की तरह रहता है, अब चूंकि पृथ्वी को हम ‘मां’ कहते हैं इसलिए उनके भाई हमाारे मामा हुए इसलिए चंदा को मामा कहा जाता है।
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