कैल्डियन सभ्यता की उपलब्धियां | Achievement of Chaldean Civilization in hindi

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कैल्डियन सभ्यता की उपलब्धियां | Achievement of Chaldean Civilization in hindi

कैल्डियन सभ्यता की स्थापना से मेसोपटामिया की सभ्यता अपने चौथे एवं अन्तिम चरण पर पहुंची है। ब्रेस्टेड तथा लूकस कैल्डियन सभ्यता को मेसोपोटामिया के तीसरे चरण की ही सभ्यता मानते हैं। 

इस सभ्यता के संस्थापक एरेमियन जाति के ही थे और उन्हीं के साथ बेबिलोन में प्रविष्ट हुए थे। ये बेबिलोन के जिस दक्षिणी भूभाग में रहते थे, उसे असीरियन कल्दु, बेबिलोनियन कस्दु तथा हिब्रू कस्दिम कहते थे। इन्हें कैल्डियन जातिवाची संज्ञा इसी भूभाग के नाम के आधार पर मिली।

 कैल्डियनों ने अपने राजनीतिक क्रियाकलापों का केन्द्र बेबिलोन को बनाया और प्राचीन बेबिलोनियन सभ्यता को ही पुनजीर्वित करने की चेष्टा की, इसलिए इनके द्वारा स्थापित सभ्यता भी बेबिलोनियन सभ्यता के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसे प्राचीन बेबिलोनियन सभ्यता से पृथक करने के लिए नव-बेबिलोनियन सभ्यता नाम दिया गया।

उपलब्धियां

कैल्डियन सभ्यता की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं –

खगोल-विद्या

कैल्डियन ग्रहों को देवता मानते थे और सिद्धान्ततः भाग्यवादी थे, इसलिए खगोल विद्या और ज्योतिष के अध्ययन में बहुत रुचि लेते थे । बैबिलोन के पतन के आठ सौ वर्ष उपरान्त भी वे रोमन साम्राज्य में अपनी खगोल-विद्या में निपुणता के लिए प्रसिद्ध थे और उनका देश ‘खगोल विद्या की माता’ कहलाता था । सम्भवतः नये हैं स्टार्मेन्ट में पूर्व के जिन बुद्धिमान पुरुषों का जिक्र हुआ है, वे कैल्डिया के ज्योतिषी ही थे। कैल्डियन पुजारी बें रोसॉस (तीसरी शताब्दी ई० पू०) की सूही भविष्यवाणियों से प्रसन्न होकर एचसबासियों ने उसकी मूर्तियाँ स्थापित की थीं । सम्भवतः हेलेनिस्टिक युग के पूर्व क़ैल्डियन ‘निकट-पूर्व’ के योग्यतम खगोलवेत्ता और ज्योतिषी थे ।

कैल्डियनों ने समय के विभाजन की पुरानी पद्धति में कुछ संशोधन किया। उन्होंने सप्ताह को सात दिनों में, दिन को 12 घण्टों में और घण्टे को 120 मिनटों में बाँटा ।

इनकी ग्रहणविषायक भविष्यवाणी बहुत सटीक रहती थी। कैल्डियन ग्रहणविषयक गणना इनके पतन के 360 वर्ष बाद तक प्रचलित रही जिससे हेलेनिस्टिक काल के वैज्ञानिक लाभान्वित हुये । 

ज्योतिष

कैल्डियन की ज्योतिषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कैल्डियन ज्योतिषियों में सर्वाधिक ख्याति नेबु-रिमन्नु एवं किडिन्नु ने अर्जित की। रिमन्नु ने सूर्य एवं चन्द्र की गति का पता लगाया तथा सूर्य एवं चन्द्रग्रहण की जानकारी दी। एक वर्ष की अवधि 365 दिन, 6 घंटे, 15 मिनट तथा 41 सेकण्ड बतायी। इसमें एवं आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा निर्धारित वर्ष की अवधि में केवल 26 मिनट 55 सेकण्ड का अन्तर है। संभवतः वर्ष की निकटतम अवधि इसके पहले कभी नहीं प्राप्त की जा सकी थी। किडिन्नु ने पृथ्वी की धुरी के वार्षिक झुकाव का पता लगाया। ब्रेस्टेड ने दोनों वैज्ञानिकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। फादरिंगम के अनुसार इन दोनों वैज्ञानिकों की गणना विश्व के महान वैज्ञानिकों में की जानी चाहिए।

बेबिलोन का पुनर्निर्माण 

हेरोडोटस का बेबिलोन वर्णन – ज्योतिष और खगोल विद्या के अतिरिक्त कैल्डियनों ने भवन-निर्माताओं के रूप में भी कीर्ति अर्जित की। उनके बनवाए हुए भवनों के कारण बैबिलोन समस्त विश्व में प्रसिद्ध हो गया। विशेषतः पश्चिमी देशों में उसे अत्यन्त सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। जब ‘इतिहास पिता’ हेरोडोटस ने अपने ग्रन्थ की रचना के लिए व्यक्तिगत रूप से अनुभव प्राप्त करने के लिए विदेशों की यात्रा की, तब वह बेबिलोन भी गया था। उसके ‘इतिहास’ में क़ैल्डियनयुगीन बैबिलोन के वैभव और सामाजिक जीवन का बड़ा दिलचस्प वर्णन मिलता है। उसके अनुसार बैबिलोन का क्षेत्रफल २०० वर्गमील था। स्पष्टतः इसमें नगर के क्षेत्रफल के चारों ओर स्थित उपवनों और कृषि क्षेत्रों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। उसके शेष विवरण की पुष्टि १८६६ से १६१७ ई० तक जर्मन विद्वान् कोल्डीवी द्वारा बैबिलोन में किए गये उत्खनन से हो जाती है ।

बेबिलोन के उत्खनन में जिन भवनों के अवशेष प्राप्त हुए हैं वे सब क़ैल्डियन सम्राटों ने बनवाए थे । इससे पुराने भवन असीरियन सम्राट् सेनाक़ेरिब की प्रतिहिंसा के शिकार हो गये थे, इसलिए उनके अवशेष आजकल उत्खनन में प्राप्त नहीं होते ।

फ़रात नदी उस समय बैबिलोन के बीच से बहती थी। उसके दोनों तटों को मिलाने के लिए नेबूशद्रेञ्जर ने एक पुल बनवाया जिसके अवशेष उत्खनन में प्राप्त हुए हैं। उसके द्वारा बनवाये हुए मार्गों में दुर्ग से मर्दुक के मन्दिर ए-सागिल को जाने वाला मार्ग जो एबुर-शबु अर्थात् ‘बिजय मार्ग’ कहलाता था, उल्लेखनीय है । यह मार्ग ईश्तर-द्वार से गुजरता था, जिसमें पॉलिशदार बहुरंगी ईंटों से रिलीफ में मूर्तियाँ बनी हुई थीं। ईश्तर-द्वार के पीछे नेबूशद्रेञ्जर का राजप्रासाद और राजकार्यालय थे। इस द्वार के पास ही वह विशाल जिगुरत था जो इतिहास में बेबिलोन की मीनार के नाम से प्रसिद्ध है। राजप्रासाद के समीप सुप्रथित झूलते बाग थे, जिनकी यूनानी विश्व के सात आश्चयों में गणना करते थे। 

निष्कर्ष

मेसोपोटामिया के इतिहास में कैल्डियनों का उत्कर्ष काल लगभग तीन चौथाई शती तक ही रहा। किन्तु इस अल्पकाल में भी धर्म, दर्शन, विज्ञान विशेषकर ज्योतिष, खगोलशास्त्र, गणित एवं कला विशेषतः प्राचीरों, दुर्गों एवं शानदार भवनों के क्षेत्र में इनकी उपलब्धियां स्तुत्य हैं। भाग्यवाद, आध्यात्मवाद, निराशावाद इत्यादि का विकास सर्वप्रथम कैल्डिया में किया गया। विज्ञान के क्षेत्र में इनके ज्योतिषविषयक आविष्कार अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। इन सबका प्रभाव परवर्ती विश्व पर निर्विवाद रूप से पड़ा। इनके ज्योतिष एवं खगोलविज्ञान का प्रभाव यूनान पर पड़ा था।

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