अर्थ –
ऐतिहासिक आधार पर व्यक्तित्व (Personality) शब्द की उत्पत्ति लैटिन (Latin) भाषा के शब्द परसोना (Persona) से हुई है जिसका तात्पर्य है- लिबास या नकाब अर्थात् दिखावटी चेहरा जो कि ग्रीक एक्टर (Actor) नाटक का मंचन करते समय धारण करते थे,
किन्तु यह व्यक्तित्व का संकुचित अर्थ ही बताता है। चूँकि ‘Persona’ एक बाह्य वस्तु है अर्थात् पूर्ण व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाहरी गुणों या शारीरिक गुणों से लगाया जाता था।
आज के समय में मनोवैज्ञानिकों के विचारानुसार व्यक्तित्व में केवल बाहरी गुण या शारीरिक गुण ही सम्मिलित नहीं होते बल्कि आंतरिक या मानसिक गुण भी सम्मिलित होते हैं अर्थात् व्यक्तित्व मनो-शारीरिक गुणों का समूह है। इस प्रकार से व्यक्तित्व शब्द का अर्थ है व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक गुणों का संगठन।
व्यक्तित्व की परिभाषाएँ (DEFINITIONS OF PERSONALITY)
आसान शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम जो भी कुछ हैं या जो भी बनना चाहते हैं। यही हमारे व्यक्तित्व को दर्शाता है अर्थात् यही हमारा व्यक्तित्व है।
व्यक्तित्व के अर्थ को अलग-अलग दार्शनिकों, विद्वानों, समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों ने अपने अनुसार अलग-अलग प्रकार से परिभाषित किया है। व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित प्रकार से हैं-
(1) आलपोर्ट ने लगभग 50 परिभाषाओं का मूल्यांकन करने के बाद व्यक्तित्व की परिभाषा को इस प्रकार से परिभाषित किया है-
“व्यक्तित्व व्यक्ति के मनोदैहिक गुणों का वह गत्यात्मक संगठन है जो व्यक्ति के वातावरण के प्रति अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है।”
(2) वुडवर्थ के शब्दों में, “व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार का गुण है।”।
(3) बैरिंग के शब्दों में, “व्यक्तित्व वातावरण के साथ सामान्य तथा स्थायी समायोजन है।”
(4) बैलेनटाइन के अनुसार, “व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों या विशेषताओं का योग है।”
(5) कैटेल के अनुसार, “व्यक्तित्व वह है कि जिसके द्वारा हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति किसी विशेष परिस्थिति में क्या करेगा ?
(6) मॉर्टन प्रिन्स के मतानुसार, “व्यक्तित्व सभी जैविक, जन्मजात विशेषताओं, इच्छाओं, भूख तथा व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियों और अर्जित की हुई विशेषताओं और प्रवृत्तियों का कुल योग है।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगत होती हैं-
व्यक्तित्व की विशेषताएँ (CHARACTERISTICS OF PERSONALITY)
(1) सामाजिक (Social) –
व्यक्ति को सामाजिक प्राणी बनाने में समाज महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है अर्थात् व्यक्तित्व आपसी सामाजिक क्रिया के माध्यम से उत्पन्न होता है। अतः व्यक्तित्व के विकास में समाज महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(2) गतिशील प्रकृति (Dynamic Nature) –
व्यक्तित्व एक परिवर्तनशील और सदा उत्पन्न होती रहने वाली प्रक्रिया है जिसमें निरन्तर बदलाव आता रहता है।
(3) वातावरण के साथ समायोजन (Adjustment with Environment) –
व्यक्तित्व हमें परिवेश के साथ समायोजन स्थापित करने में सहयोग प्रदान करता है। व्यक्तित्व ही व्यक्ति को समाज या वातावरण के साथ सम्बन्ध बनाने में मदद करता है।
(4) मनो-शारीरिक (Psycho-Physical) –
व्यक्तित्व के अन्तर्गत मानसिक व शारीरिक दोनों ही प्रकार के गुणों का मिश्रण होता है।
(5) निर्धारण (Determination) –
व्यक्तित्व के अन्तर्गत व्यक्ति के विचारों, लक्ष्यों तथा कार्यों का निर्धारण किया जाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि व्यक्तित्व व्यक्ति को उद्देश्यों व विचारों का निर्धारण करने में योगदान प्रदान करता है।
(6) संगठित और संकलित (Organised and Integrated) –
व्यक्तित्व अलग-अलग तरह की प्रणालियों का एक संगठित रूप है। अतः व्यक्तित्व व्यक्ति के गुणों का संगठित व संकलित रूप होता है।
(7) स्वचेतन (Self-concious) –
व्यक्तित्व एक स्वचेतन गुण है। व्यक्तित्व स्वयं की अनुभूति कराता है।
(8) अपूर्वता (Uniqueness) –
हर एक व्यक्ति के भीतर या व्यक्तित्व में कुछ विशिष्ट शीलगुण (Traits) या अपूर्वता अवश्य ही पायी जाती है।
(9) व्यक्तित्व एक सम्पूर्ण इकाई है जो किसी भी व्यक्ति के गुणों को दर्शाती है।
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