टालकट पारसंस का सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धांत (Talcot Parson’s Theory of Social stratification)
प्रकार्यवादियों में टालकट पारसंस अग्रणी हैं । पारसंस के अनुसार समाज के लिए स्थायित्व और सहयोग का होना आवश्यक है। यह तभी संभव है जब समाज के सभी सदस्य कुछ मूल्यों के लिए एक मत हो। जब तक मूल्यों के संबंध में मतैक्य (Consensus) नहीं होता, समाज विश्रंखल हो जायेगा। मूल्य साझे विश्वास अर्थात् समाज के सदस्यों की सहमति से उत्पन्न होते है। ये मूल्य निर्धारित करते है कि समाज के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है।
किसी समाज में जो लोग मूल्यों के अनुरूप कार्य और व्यवहार करते है उन्हे बेहतर पारितोषिक दिया जाता है जो मूल्यों के अनुरूप व्यवहार नही करते उन्हे दंड दिया जाता हैं। जैसे आद्योगिक समाज में अधिक मुनाफा कमाने की क्षमता को अधिक महत्व दिया जाता हैं। तो जो व्यापारी अधिक मुनाफा प्राप्त करेंगे उन्हें उच्च प्रस्थिति प्राप्त होगी। जो अधिक मुनाफा नही प्राप्त करेंगे उन्हें निम्न प्रस्थिती प्राप्त होगी।
इस प्रकार पारसंस का तर्क है कि स्तरीकरण व्यवस्था का उद्गम मूल्यों के मतैक्य से होता है। मूल्य मतैक्य सभी समाज का अंग है। इसलिए सामाजिक स्तरीकरण सभी समाज के लिए अनिवार्य है। मूल्यों के आधार पर ही समाज के सदस्य एक-दूसरे की श्रेणी (Rank) को निश्चित करते हैं। मूल्यों के आधार पर ही किसी व्यक्ति या समूह को ऊँचा रखा जाता है और किसी को नीचा। मूल्य स्तरों में पाए जाने वाले भेदों को सही ठहराती है।
पारसंस के सिद्धांत का सार हम इस प्रकार दे सकते हैं:
- मूल्य मतैक्य सभी समाजों का अनिवार्य अंग है।
- सामाजिक स्तरीकरण सभी समाजों में अपरिहार्य है।
- समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने के लिए स्तरीकरण प्रणाली को न्यायोचित, सही और उचित माना जाता है। इससे भिन्न-भिन्न लोगों को भिन्न-भिन्न पारितोषिक मिलता है।
- जिन लोगों को पुरस्कृत किया जाता है और जिन्हें पुरस्कृत नहीं किया जाता उनके बीच संघर्ष हो सकता है। मगर इससे मौजूद प्रणाली को कोई बड़ा खतरा पैदा नहीं होता क्योंकि मूल्य व्यवस्था इस द्वंद्व को रोके रखती है
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