बिना उपकरणों के सहारा लिए सबसे अधिक व्यवहारत विधि जो आज भी विद्यालयों में दृष्टिगत होती है वो कहानी कथन विधि है। कहानी में बालक को प्रारंभ से ही रुचि रहती है और यदि इस विधि को ठीक प्रकार से उपयोग में लिया जाए तो वेज अपनी सीमाओं के बावजूद बहुत उपयोगी है।
कहानी कथन विधि में कहानी कहना, बातचीत करना, भाषण देना आदि का समावेश होता है, क्योंकि इन सब में वाणी का उपयोग करना पड़ता है। छोटी कक्षाओं में कहानी कहना ही इतिहास सिखाने की सर्वोत्तम विधि है। प्लेटो (Plato) ने भी इस विधि को छोटे बालकों के लिए लाभप्रद एवं उपयुक्त बताया था।
इतिहास के शिक्षक को इस कला का जानना आवश्यक है। यदि उसमें यह कला स्वाभाविक रूप से नहीं है तो उसे प्रयत्न करके अर्जित करना चाहिएं। यदि यह ऐसा नहीं करेगा तो वह सफल शिक्षक नहीं हो सकता है।
कहानी कथन विधि के सिद्धांत या विशेषताएं
- शिक्षक को कहानी का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
- कहानी सुनाते समय बालको के मानसिक स्तर, रुचियों एवम संवेगात्मक विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए।
- कहानी सुनाते समय शिक्षक को कहानी के भावों और हाव भाव का प्रदर्शन करना चाहिए।
- कहानी को पढ़ कर नही बल्कि अपनी भाषा में सुनना चाहिए जिससे बालक की रुचि बनी रहे।
- कहानी इस्तिहास के प्रकरण से संबंधित होनी चाहिए।
कहानी कथन विधि के गुण (Merits of Story-telling Method)
कहानी विधि से शिक्षा देने के निम्नलिखित लाभ हैं –
- इसके द्वारा बालकों में इतिहास के प्रति रुचि उत्पन्न की जा सकती है।
- इससे बालकों की कल्पना-शक्ति का विकास होता है।
- कम खर्च वाली विधि है जिसमें बच्चे अधिक रुचि लेते हैं।
- छोटे बच्चे कल्पनाशील होते हैं। इस विधि से उनकी कल्पनाशक्ति बढ़ती है।
- सृजनात्मक शक्ति को विकसित करने वाली विधि।
- जिज्ञासा की सन्तुष्टि होती है।
- महान लोगों के जीवन-प्रसंग सुनने से बच्चों में सद्गुणों का विकास होता है।
- आचरण आदर्श बनते हैं।
कहानी कथन विधि के दोष
- इस विधि के द्वारा शिक्षक पर अत्यधिक बोझ पड़ता है।
- इस विधि के लिए कुशल शिक्षक की कमी होती है।
- कहानी कथन एक कला है और प्रत्येक शिक्षक इसे
- प्रभावशाली ढंग से नही सिख सकता।