शैक्षिक तकनीकी का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति और क्षेत्र| Educational technology meaning, definition, nature and scope in hindi

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शैक्षिक तकनीकी का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति और क्षेत्र| Educational technology meaning, definition, nature and scope in hindi

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ (Meaning of Educational Technology)

शैक्षिक तकनीकी (Educational Technology) अति विस्तृत शब्द है। इसका तात्पर्य सम्पूर्ण शैक्षिक प्रक्रिया को योजनाबद्ध कर, कार्यान्वित करने में वैज्ञानिक सिद्धान्तों को प्रयोग में लाना है। शैक्षिक तकनीकी की धारणा का प्रयोग उन सभी विधियों, प्रविधियों, व्यूह रचनाओं तथा यांत्रिक उपकरणों की अभिव्यक्ति हेतु किया जा रहा है जिनका प्रयोग शिक्षण एवं अधिगम की प्रभावशीलता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी, शैक्षिक एवं शैक्षणिक प्रक्रियाओं को नियोजित करने, संगठित करने, अग्रसरित करने तथा उनके प्रभावों को भली-भाँति नियन्त्रित करने के लिए एक सुव्यवस्थित तथा वैज्ञानिक प्रयास कहलाता है।

परिभाषा (Definition)

एस. एस. कुलकर्णी (S.S. Kulkarni, 1966) के अनुसार, “तकनीकी तथा विज्ञान के आविष्कारों तथा नियमों का शिक्षा की प्रक्रिया में प्रयोग को ही शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।”

जी. ओ. एम. लीथ (G. O. M. Leith) के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी सीखने और सिखाने की दिशाओं में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण और प्रशिक्षण प्रभावपूर्णता तथा दक्षता में सुधार लाया जाता है।”

रिचमण्ड (Richmond, 1970) के अनुसार, “शैक्षिक तकनीकी सीखने की उन परिस्थितियों की समुचित व्यवस्था के प्रस्तुत करने से सम्बन्धित है जो शिक्षण एवं परीक्षण के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अनुदेशन को सीखने का उत्तम साधन बनाती है।”

ई. एम. बूटर (E. M. Buter) के अनुसार, “ज्ञान के व्यवहार में विनियोग की प्रक्रिया ही शैक्षिक तकनीकी है।”

रॉबर्ट ए. कॉक्स (Robert A. Cox, 1970) के अनुसार, “मानव की सीखने की परिस्थिति में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।”

शैक्षिक तकनीकी का स्वरूप अथवा प्रकृति (NATURE OF EDUCATIONAL TECHNOLOGY)

शैक्षिक तकनीकी के अर्थ के आधार पर हम निम्नांकित निष्कर्ष निकालते हैं-

1. शैक्षिक तकनीकी, शिक्षा पर विज्ञान तथा तकनीकी के प्रभाव का अध्ययन करती है।

2. शैक्षिक तकनीकी का आधारभूत विषय विज्ञान है।

3. शैक्षिक तकनीकी निरन्तर विकासशील विषय है।

4. यह अभियांत्रिकी, मनोविज्ञान आदि विज्ञानों से सहायता लेती है।

5. शैक्षिक तकनीकी में व्यावहारिक पक्ष को महत्व दिया जाता है।

6. यह निरन्तर विकासशील विषय है।

7. इसमें क्रमबद्ध उपागम को प्रधानता दी जाती है।

8. शैक्षिक तकनीकी, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक तथा तकनीकी आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरणों के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।

9. यह शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अधिगम परिस्थितियों में आवश्यक परिवर्तन लाने में समर्थ है।

10. इसमें शिक्षक, छात्र तथा तकनीकी प्रक्रियाओं का एक साथ समावेश होता है।


शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र –

शैक्षिक तकनीकी का क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार है –

1. शिक्षण और अधिगम प्रक्रियाओं का विश्लेषण (Analysis of the process of teaching and learning)-

शैक्षिक तकनीकी शिक्षण और अधिगम प्रक्रियाओं में यथेष्ट सुधार लाने का प्रयास करती है। अपने इस कार्य के सम्पादन के लिए उसे इन प्रक्रियाओं को अच्छी तरह स्पष्ट कराना आवश्यक होता है। इस दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी कुछ निम्न प्रकार की विषय-वस्तु को स्थान दिलाना चाहती है:-

शिक्षण का अर्थ एवं मंप्रत्यय, शिक्षण कार्य का विश्लेषण, शिक्षण अवस्थायें, शिक्षण चर, शिक्षण स्तर, शिक्षण सिद्धांत, प्रनियम एवं शिक्षण सूत्र, अधिगम का अर्थ एवं संप्रत्यय, शिक्षण और अधिगम का सम्बंध आदि।

2. शैक्षिक लक्ष्यों एवं उ‌द्देश्यों का निर्धारण (Spelling out the Educa tional goals or objectives)- 

शिक्षा कार्यों की सफलता शैक्षिक लक्ष्यों एवं उद्‌देश्यों के उचित निर्धारण पर निर्भर करती है। शैक्षिक तकनीकी को इस दिशा में सहयोग करने के लिए कुछ निम्न प्रकार की विषय सामग्री पर ध्यान देना होता है:

व्यापक शैक्षिक लक्ष्यों या सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण, सामान्य या व्यापक लक्ष्यों का कक्षा शिक्षण और अधिगम से सम्बंधित विशिष्ट उ‌द्देश्यों में विभाजन, विशिष्ट शिक्षण एवं अधिगम उ‌द्देश्यों की व्यवहारपरक शब्दावली में लिखना आदि।


3. पाठ्यक्रम निर्माण (Development of Curriculum)-

शैक्षिक उद्देश्यों की सफलतापूर्वक प्राप्ति के लिये एक अच्छे पाठ्यक्रम का होना अति आवश्यक है। शैक्षिक तकनीकी इस दिशा में भी अपना सहयोग देने का प्रयास करती है और इस संदर्भ में कुछ निम्न प्रकरणों एवं विषय-वस्तु का समावेश चाहती है:-

उचित अधिगम अनुभवों एवं पाठ्यवस्तु का चयन, चयन की हुई पाठ्यवस्तु का उत्तम अनुदेशन के लिए सफलतापूर्वक आयोजन, निर्धारित उ‌द्देश्यों, शिक्षण विधियों, साधन और मूल्यांकन तकनीकों के संदर्भ में पाठ्यक्रम की उपयुक्तता को जांचना आदि।

4. शिक्षण अधिगम सामग्री का उत्पादन एवं विकास (Production and Development of teaching learning material)- 

शैक्षिक तकनीकों का यह अंग निर्धारित उद्देश्यों, नियत पाठ्यक्रम और उपलब्ध साधनों के संदर्भ में सर्वोत्तम शिक्षण अधिगम सामग्री के उत्पादन एवं विकास पर जोर देता है। इस दृष्टि से शैक्षणिक तकनीकी कुछ निम्न प्रकरणों का समावेश चाहती है:-

अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री, कम्प्यूटर निर्देशित अधिगम सामग्री, जन-सम्पर्क माध्यमों में प्रयुक्त सामग्री, शिक्षण मशीन में प्रयुक्त सामग्री, शिक्षण और अधिगम के नियोजन एवं पाठ-योजना के निर्माण से सम्बंधित आवश्यक सामग्री का उत्पादन एवं विकास आदि।

5. अध्यापकीय प्रशिक्षण (Teacher Training)-

शिक्षण-अगम प्रक्रिया में अध्यापक को बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। इस दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी एक अध्यापक को अपने विभिन्न उत्तरदायित्वों को निभाने हेतु उचित प्रशिक्षण प्रदान करने का कार्य करती है। अपने इस कार्य हेतु वह कुछ निम्न प्रकार की विषय सामग्री पर बल देती है:

शिक्षण अभ्यास के प्रतिमान (Models of Practice Teaching), मुक्ष्म शिक्षण, टीम शिक्षण, अनुरूपित शिक्षण, शैक्षिक क्रीडन (Academic gaming) प्रणाली उपागम, अध्यापक व्यवहार, शिक्षण व्यवहार, कक्षा अन्तः क्रिया, वैयक्तिक अनुदेशन प्रणाली (Personalized System of Instruction), बहु-माध्यम उपागम (Multi-Media Approach) आदि।


6. शिक्षण अधिगम युक्तियों एवं व्यूह रचनाओं का चयन एवं विकास (Development and Selection of the teaching-learning strategies and tractics)-

किसी भी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में शिक्षण अधिगम युक्तियों एवं व्यूह रचनाओं की केन्द्रीय भूमिका रहती है। शिक्षण तकनीकी इन युक्तियों और व्यूह रचनाओं के निर्माण, चयन एवं विकास में पूरा सहयोग देती है और इस दृष्टि से अपने अध्यापन क्रम में निम्न सामग्री का समावेश चाहती है:-

शिक्षण-अधिगम के उपलब्ध स्रोतों और उद्देश्यों के संदर्भ में उचित युक्तियों और व्यूह रचनाओं का निर्माण एवं विकास, शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में उपलब्ध विभिन्न शिक्षण प्रतिमान, शिक्षण अधिगम विधियों प्रविधियों, तकनीक तथा युक्तियों की जानकारी और उनका उचित चयन एवं उपयोग करने की तकनीकों की जानकारी आदि।


7. उचित दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री का चयन, विकास एवं उपयोग (Development, Selection and use of the appropriate audio-visual aids)- 

दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री द्वारा ठीक प्रकार से सीखने एवं सिखाने में भरपूर सहायता मिलती है। शिक्षण तकनीकी इस दृष्टि से उचित दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्रियों के निर्माण, विकास, चयन और उपयोग पर पूरा-पूरा ध्यान देती है और इस संदर्भ में कुछ निम्न प्रकार की विषय सामग्री को स्थान दिलाना चाहती है:-

दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री का अर्थ एवं शैक्षणिक उपयोगिता, विभिन्न प्रकार की दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्रियों का उचित श्रेणियों में विभाजन, इन सामग्रियों की संरचना एवं कार्यप्रणाली का अध्ययन, एक विशेष शिक्षण अधिगम परिस्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित दृश्य श्रव्य सामग्री का चयन और उपयोग के तरीके, उपलब्ध साधनों के आधार पर दृश्य-श्रव्य सामग्री का निर्माण और विकास, दृश्य-श्रव्य सामग्री की उचित देखभाल एवं संरक्षण, व्यय और उपयोगिता की दृष्टि से दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री का मूल्यांकन आदि। 

8. हार्डवेयर उपकरण एवं जन सम्पर्क माध्यमों का प्रभावपूर्ण उपयोग (effective utilization of the hardware and mass media)- 

शिक्षा जगत में तकनीकी यंत्रों, उपकरणों, मशीनों, संप्रेषण तकनीक, संचार साधनों एवं जन सम्पर्क माध्यमों का प्रचलन तेजी से बढ़ गया है। शैक्षिक तकनीकी इन सभी साधनों में परिचित कराने एवं उनके उपयोग में पर्याप्त कुशलता लाने का कार्य करती है। इस दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी के किसी भी अध्ययन कम में निम्न प्रकार की विषय-वस्तु का समावेश किया जाता है:-

हार्डवेयर उपागम का अर्थ, शिक्षा कार्य में काम आने वाले विभिन्न तंत्रों,उपकरणों एवं मशीनों की बनावट एवं कार्य प्रणाली का अध्ययन, उचित हार्डवेयर अथवा शिक्षण उपकरण का चुनाव, उनका उपयोग करने से सम्बंधित सावधानियां, रख-रखाव और सुरक्षितता और इनका निर्माण एवं विकास, तकनीक, संचार एवं जन सम्पर्क माध्यमों की जानकारी और उनका शिक्षा कार्य हेतु उपयोग आदि।

9. मूल्यांकन द्वारा उचित नियंत्रण एवं पृष्ठ पोषण की व्यवस्था (To provide essential feed back and control through evaluation)- 

शैक्षिक तकनीकी, मूल्यांकन तकनीकी के उचित विकास एवं उपयोग द्वारा सम्पूर्ण शिक्षण प्रक्रिया पर उचित नियंत्रण स्थापित करने एवं पृष्ठ पोषण प्रदान करने का कार्य करती है। इस दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी के अध्ययन क्रम में कुछ निम्न प्रकरणों का समावेश किया जाता है:-

मूल्यांकन तकनीकों का अर्थ एवं प्रयोजन, विभिन्न प्रकार की मूल्यांकन तकनीकों का वर्णन, उद्देश्य, पाठ्यवस्तु, शिक्षण विधियों तथा मूल्यांकन तकनीकों का पारस्परिक सम्बंध, उचित मूल्यांकन तकनीकों का चुनाव, निर्माण, विकास और समुचित उपयोग आदि।

निष्कर्ष

इस प्रकार से शैक्षिक तकनीकी का सम्बंध शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के हर पहलू से होता है। शिक्षा प्रणाली का कोई तत्त्व या घटक ऐसा नहीं जिसके मार्गदर्शन, नियंत्रण एवं कुशल कार्य सम्पादन हेतु शिक्षण तकनीकी को काम में नहीं लाया जाता हो। इसकी उपयोगिता शिक्षा जगत के हर पहलू और प्रयास को छूने लगी है।


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