गिलफोर्ड का बुद्धि सिद्धान्त| Guilford Theory of Intelligence B.Ed notes in hindi
गिलफोर्ड द्वारा प्रतिपादित बुद्धि सिद्धान्त को त्रिविमीय सिद्धान्त (Three Dimensional Theory) या बुद्धि संरचना सिद्धान्त (Structure theory of intelligence) के नाम से जाना जाता है।
गिलफोर्ड ने मौलिक रूप से बुद्धि में 120 कारकों को माना है। किन्तु उन्होंने अपनी मृत्यु से पूर्व सन् 1988 में इस सिद्धान्त को और विस्तार रूप देते हुए बुद्धि में सम्मिलित कारकों की संख्या 180 बताया। गिलफोर्ड के अनुसार, बुद्धि में निहित कुछ योग्यताएँ केन्द्रोन्मुखी (convergent) एवं कुछ योग्यताएँ बहिउन्मुखी (divergent) प्रकार की होती है। बुद्धि के सभी तत्त्वों को गिलफोर्ड ने तीन भागों में विभाजित किया है। जिनका विवरण निम्नवत् हैं:-
(क) संक्रिया (Operation)
संक्रिया का तात्पर्य मानसिक प्रक्रिया के स्वरूप से होता है। दिये गये कार्य पर, व्यक्ति द्वारा की गयी मानसिक क्रियाओं का स्वरूप क्या है? की व्याख्या संक्रिया में होती है। गिलफोर्ड (Guilford) के अनुसार संक्रियाएँ छः प्रकार की होती है:-
(i) मूल्यांकन (Evaluation)
(ii) अभिसारी चिन्तन (Convergent thinking)
(iii) अपसारी चिन्तन (Divergent thinking)
(iv) स्मृति (Memory)
(v) स्मृति अभिलेखन (Memory Recording)
(vi) संज्ञान (Cognition)
(ख) विषय-वस्तु (Content)
गिलफोर्ड का विषय-वस्तु से तात्पर्य उस क्षेत्र से है जिनके एकांशों या सूचनाओं के आधार पर संक्रियाएँ (operation) की जाती है। गिल्फोर्ड ने ऐसी सूचनाओं को पाँच भागों में विभक्त किया गया है:-
(i) दृष्टि सूचना (Visual information)
(ii) श्रवण सूचना (Auditory information)
(iii) सांकेतिक सूचना (Symbolic information)
(iv) शाब्दिक सूचना (Semantic information)
(v) व्यवहारपरक सूचना (Behavioural information)
(ग) उत्पादन (Products) –
गिलफोर्ड के अनुसार, किसी विशेष प्रकार की विषय-वस्तु द्वारा की गयी संक्रिया के परिणाम को उत्पादन की संज्ञा दी जाती है। अर्थात् जब किसी विशेष प्रकार की विषय-वस्तु (content) की निश्चित संक्रिया (opration) का प्रयोग किया जाता है तो छः प्रकार के उत्पादन होते हैं। जो इस प्रकार है:-
(i) इकाई (Units)
ii) वर्ग (Classes)
(iii) सम्बन्ध (Relation)
(iv) पद्धतियों (Systems)
(v) रूपान्तरण (Transformation)
(vi) आशय या आपादन (Implication)
निष्कर्ष
इस प्रकार गिलफोर्ड (1967) ने अपने सिद्धान्त की व्याख्या बुद्धि में सम्मिलित तीन तत्त्वों (विमाओं) के आधार पर किया है और प्रत्येक विमा के कई कारक हैं। गिलफोर्ड द्वारा सन् 1967 में की गयी व्याख्या के अनुसार संक्रिया 05, विषय वस्तु 04, एवं उत्पादन से सम्बन्धित 06 कारकों के रूप में की गयी है। जिसके आधार पर बुद्धि में 120 (5×4×6) कारकों का योग माना गया। किन्तु सन 1988 में गिलफोर्ड द्वारा सिद्धान्त विस्तार के साथ संक्रिया में संज्ञान (cognition) एवं विषय-वस्तु में श्रवण सूचना (auditory information) को जोड़ देने से बुद्धि में सम्मिलित कारकों की संख्या 180 (6x5x6) बतायी गयी।