इस पोस्ट में हम टॉयनबी के अनुसार सभ्यता के उत्थान एवं पतन की प्रक्रिया B.A 3rd year Notes के बारे में चर्चा करेंगे। इस पोस्ट में flow chart के माध्यम से पूरी थ्योरी को समझाने का प्रयास किया गया है। इसलिए पोस्ट को अंत तक पढ़ें।
परिचय
टॉयनबी के अनुसार सभ्यता के उत्थान और पतन की प्रक्रिया एक विशिष्ट और जटिल परिघटना है। वे मानते हैं कि सभ्यता का उत्थान और पतन एक प्राकृतिक और ऐतिहासिक चक्र के रूप में होते हैं, जिसमें विभिन्न कारण होते हैं। टॉयनबी ने इस प्रक्रिया को अपने “A Study of History” (इतिहास का अध्ययन) नामक पुस्त में विस्तार से प्रस्तुत किया है।
टॉयनबी के अनुसार सभ्यता के उत्थान एवं पतन की प्रक्रिया
सभ्यता का उत्थान
Toyanbee के अनुसार, किसी भी सभ्यता का उत्थान किसी चुनौती के जवाब के रूप में होता है। जब कोई समाज किसी बाहरी या आंतरिक चुनौती का सामना करता है, तो वह उस चुनौती का समाधान खोजने के लिए नवाचार, संघर्ष और सामूहिक प्रयास करता है। यह समाधान ही सभ्यता के उत्थान का कारण बनता है। इस प्रक्रिया में, समाज अपनी संस्कृति, धर्म, राजनीति और प्रौद्योगिकी में बदलाव लाता है, जिससे वह नए उच्च स्तर पर पहुँचता है।
Toyanbee के अनुसार, प्रत्येक सभ्यता का उत्थान एक प्रेरणादायक तत्व से होता है, जिसे उन्होंने “अभिनव उत्तरदायित्व” (Creative Response) कहा है। यह उत्तरदायित्व समाज की चुनौती का सामना करते हुए उत्पन्न होता है। समाज एक नई दिशा में सोचता है और इस दिशा में अपने संसाधनों का इस्तेमाल करता है, जिससे सभ्यता का विकास होता है। उदाहरण के लिए, प्राचीन मिस्र में नील नदी के पानी के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए सिंचाई प्रणालियाँ विकसित की गईं, जो सभ्यता के उत्थान का एक प्रमुख कारण बनीं।
सभ्यता का पतन
Toyanbee के अनुसार, सभ्यता के उत्थान के बाद उसका पतन भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। सभ्यताएँ समय के साथ अपनी गति को खो देती हैं, क्योंकि वे अपनी समस्याओं का समाधान करने में असफल हो जाती हैं। उनके पतन के कारण कई होते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है सामाजिक या राजनीतिक संस्थाओं में अस्थिरता और परिवर्तन की कमी।
सभ्यता के पतन का सबसे बड़ा कारण है कि जब एक समाज अपने उत्थान के बाद अपनी समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ हो जाता है, तो वह अपनी नीतियों और सिद्धांतों में जड़ता (stagnation) देखता है। इसके परिणामस्वरूप, समाज में आंतरिक संघर्ष और विघटन होता है, और बाहरी ताकतें इस स्थिति का फायदा उठाती हैं। Toyanbee ने इसे “पुनः-निर्माण” के नाम से जाना है, जिसमें सभ्यता पुनः एक नए रूप में परिवर्तित होती है या पूरी तरह समाप्त हो जाती है।
वह मानते हैं कि जब समाज अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट होकर विकास की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय आत्मसंतुष्ट हो जाता है, तो उसकी रचनात्मकता और ऊर्जा समाप्त होने लगती है। परिणामस्वरूप, सभ्यता में अस्थिरता और विघटन की स्थिति उत्पन्न होती है।
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टॉयनबी के सिद्धांत की विशेषताएँ
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1.चुनौती और उत्तरदायित्व का सिद्धांत
टॉयनबी का मानना था कि किसी भी सभ्यता का उत्थान एक चुनौती के जवाब में होता है। यदि समाज अपनी चुनौती का सही तरीके से समाधान करता है, तो सभ्यता का विकास होता है। यदि वह समाधान करने में विफल रहता है, तो सभ्यता का पतन निश्चित होता है।
2.सामाजिक समरसता का महत्व
टॉयनबी ने यह भी बताया कि सभ्यता के उत्थान और पतन में सामाजिक समरसता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यदि समाज में कोई बड़ी असमानता या असंतोष होता है, तो यह सभ्यता के पतन की दिशा में एक कदम हो सकता है।
3.प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग
टॉयनबी ने यह भी उल्लेख किया कि सभ्यताओं का उत्थान और पतन प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करता है। जब संसाधनों का अत्यधिक दोहन होता है और समाज उन्हें स्थायी रूप से प्रबंधित नहीं कर पाता, तो यह सभ्यता के पतन का कारण बनता है।
4.सामाजिक और सांस्कृतिक नवीकरण
सभ्यता का उत्थान और पतन समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से भी जुड़ा हुआ है। जब समाज में सांस्कृतिक और धार्मिक नवाचार होते हैं, तो सभ्यता का उत्थान होता है। परंतु जब ये नवाचार समाप्त हो जाते हैं और समाज सांस्कृतिक रूप से जड़ हो जाता है, तो पतन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
सभ्यता के उत्थान और पतन की प्रक्रिया का उदाहरण
टॉयनबी के सिद्धांत को समझने के लिए हम प्राचीन सभ्यताओं का उदाहरण ले सकते हैं। जैसे प्राचीन रोम का उत्थान और पतन। रोम की सभ्यता ने सैन्य, प्रशासन और कला के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया। लेकिन जैसे-जैसे रोम की सेना कमजोर होती गई और आंतरिक असंतोष बढ़ने लगा, रोम का पतन हुआ। इस प्रक्रिया में बाहरी आक्रमणकारियों ने भी भूमिका निभाई, लेकिन सबसे बड़ा कारण आंतरिक अस्थिरता और संसाधनों का अत्यधिक दोहन था।
इसी तरह, प्राचीन माया सभ्यता भी इस सिद्धांत को प्रमाणित करती है। माया सभ्यता का उत्थान अत्यधिक ज्ञान, गणना, और कला के क्षेत्र में हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे उनका समाज राजनीतिक अस्थिरता, प्राकृतिक आपदाओं और संसाधनों की कमी से ग्रस्त हो गया, जिससे सभ्यता का पतन हुआ।
निष्कर्ष
टॉयनबी के अनुसार सभ्यता के उत्थान और पतन की प्रक्रिया एक परिपक्व और जटिल चक्र के रूप में है। यह समाज के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक जीवन पर निर्भर करता है। जब समाज अपनी चुनौतियों का समाधान करता है और सामाजिक समरसता बनाए रखता है, तो सभ्यता का उत्थान होता है। लेकिन जब समाज जड़ता और अस्थिरता का शिकार होता है, तो सभ्यता का पतन अवश्यम्भावी हो जाता है।