हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ | Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization

हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ (Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization)
Spread the love

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

इस लेख में हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ | Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization in hindi का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि उस समय शहरों की योजना, सड़कों, जल निकासी, भवन निर्माण और समाज की उन्नत व्यवस्था कैसी थी। हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ (Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization) इसे पढ़कर हम जान पाएंगे कि हड़प्पा लोग कितने विकसित, संगठित और वैज्ञानिक सोच वाले थे।

हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ(Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization)

प्रस्तावना (Introduction)

विश्व की प्राचीनतम नगरीय सभ्यताओं में से एक — हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization) या सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) — मानव इतिहास में नगरीकरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व तक भारत और पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी भागों में फैली इस सभ्यता के लोग नगर नियोजन, वास्तुकला, स्वच्छता और जनसुविधाओं के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति कर चुके थे। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन, लोथल, धौलावीरा, राखीगढ़ी और चन्हूदड़ो जैसे नगर इस सभ्यता के उच्च शहरी जीवन के प्रमाण हैं। इन नगरों की योजना देखकर यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पावासी अत्यंत संगठित, अनुशासित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले लोग थे।


  1. योजनाबद्ध नगर निर्माण (Planned City Layout)

हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी — उसका सुनियोजित नगर विन्यास। हड़प्पावासियों ने अपने नगरों को योजनाबद्ध तरीके से बसाया था। पूरे नगर की योजना ग्रिड पैटर्न (Grid Pattern) पर आधारित थी, जिसमें सड़कें उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशा में एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। इससे नगर चौकोर या आयताकार खंडों में बँटा हुआ दिखाई देता था।

मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और कालीबंगन जैसे नगरों में यह व्यवस्था स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उदाहरण के लिए — मोहनजोदड़ो की सड़कों को इस प्रकार बनाया गया था कि वे सीधी और चौड़ी थीं, और उनमें उचित ढलान दी गई थी ताकि वर्षा का जल आसानी से बह सके। यह आज के आधुनिक नगर नियोजन की तरह “ज़ोनिंग सिस्टम” पर आधारित था — अर्थात् आवासीय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र और सार्वजनिक भवनों के क्षेत्र अलग-अलग बनाए गए थे।

नगर विन्यास (Town Planning) केवल भौतिक निर्माण का विषय नहीं था, बल्कि यह उनके सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और प्रशासनिक जीवन का प्रतिबिंब था। हड़प्पा सभ्यता के नगरों से प्राप्त अवशेषों से यह सिद्ध होता है कि उस समय लोगों के पास सुसंगठित शासन प्रणाली, कुशल इंजीनियरिंग तकनीक और दूरदर्शी शहरी दृष्टिकोण था।


  1. नगरों का विभाजन — दुर्ग एवं निचला नगर (Division of the City: Citadel and Lower Town)

हड़प्पा के अधिकांश नगरों को दो प्रमुख भागों में बाँटा गया था —

  1. ऊपरी नगर (Citadel or Acropolis)
  2. निचला नगर (Lower Town)

ऊपरी नगर को आमतौर पर ऊँचाई पर बनाया गया था और यह परकोटों से घिरा होता था। यहाँ बड़े-बड़े सार्वजनिक भवन, सभा स्थल, अनाजागार और धार्मिक या प्रशासनिक प्रतिष्ठान स्थित थे। यह संभवतः शासक वर्ग, पुरोहितों या उच्च अधिकारियों का निवास क्षेत्र था।

मोहनजोदड़ो का ‘महास्नानागार’ (Great Bath) इसी ऊपरी नगर में स्थित था। यह ईंटों से बना हुआ एक विशाल जलाशय था, जिसकी लंबाई लगभग 12 मीटर, चौड़ाई 7 मीटर और गहराई 2.4 मीटर थी। इसे जलरोधक बिटुमेन से सील किया गया था, जो हड़प्पावासियों की इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाता है।

निचला नगर आम लोगों का आवासीय क्षेत्र था, जहाँ घर, गलियाँ और बाजार स्थित थे। इस भाग में जनसंख्या अधिक थी। धौलावीरा नगर में ऊपरी और निचले नगर के अतिरिक्त तीसरा मध्य नगर (Middle Town) भी था, जो और भी उन्नत शहरी संगठन का संकेत देता है।


  1. निर्माण सामग्री एवं वास्तुकला (Building Material and Architecture)

हड़प्पा सभ्यता में निर्माण के लिए पकी हुई ईंटों (Baked Bricks) का व्यापक उपयोग किया गया। इन ईंटों का आकार समान होता था और उनका अनुपात सामान्यतः 1:2:4 (ऊँचाई : चौड़ाई : लंबाई) का होता था, जो उनकी वैज्ञानिक दृष्टि को दर्शाता है। यह अनुपात आज भी वास्तु विज्ञान में मान्य है। जहाँ आवश्यक होता, वहाँ कच्ची ईंटों (Mud Bricks) का भी प्रयोग किया गया, विशेषतः अस्थायी भवनों या ग्रामीण क्षेत्रों में। कुछ स्थलों पर पत्थरों का भी प्रयोग किया गया है, जैसे धौलावीरा में। दीवारें मोटी और मज़बूत होती थीं, ताकि बाढ़ या भूकंप का प्रभाव कम पड़े। घरों की नींव गहरी होती थी और दीवारों में जलरोधक परत लगाई जाती थी। इन निर्माणों से स्पष्ट होता है कि हड़प्पावासियों के पास उन्नत इंजीनियरिंग तकनीक थी।


  1. सड़क व्यवस्था (Street System)

सड़कें नगर योजना की रीढ़ होती हैं, और हड़प्पा की सड़क व्यवस्था अत्यंत उत्कृष्ट थी। सड़कों को समकोण पर बनाया गया था ताकि नगर “ग्रिड” जैसा दिखे। मुख्य सड़कें लगभग 9 से 10 मीटर चौड़ी थीं। उनसे जुड़ी गलियाँ अपेक्षाकृत संकरी — लगभग 1.5 से 2 मीटर चौड़ी थीं। सड़कों पर ढलान दी गई थी ताकि वर्षा का जल नालियों में स्वतः बह सके। सड़क किनारे नालियाँ और निकास द्वार व्यवस्थित रूप से बनाए गए थे। मोहनजोदड़ो की मुख्य सड़क लगभग 10 मीटर चौड़ी थी और उसके दोनों ओर दो मंज़िला मकान थे। इससे यह प्रतीत होता है कि यातायात और जनसुविधाओं को ध्यान में रखकर ही योजना बनाई गई थी।


  1. जल निकासी प्रणाली (Drainage System)

हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रशंसनीय विशेषता उसकी नाली व्यवस्था (Drainage System) थी। यह उस समय की किसी भी अन्य सभ्यता से कहीं अधिक विकसित और वैज्ञानिक थी। प्रत्येक घर में एक निजी नाली थी जो रसोई और स्नानघर से निकलती थी। ये नालियाँ मुख्य सड़कों के नीचे बनी बड़ी नालियों से जुड़ जाती थीं। सभी नालियाँ ईंटों से बनी और ढकी हुई थीं ताकि दुर्गंध न फैले। समय-समय पर सफाई के लिए निरीक्षण द्वार (Manholes) बनाए गए थे। पानी को बहाने के लिए नालियों में ढलान दी गई थी। यह प्रणाली न केवल उनकी तकनीकी समझ को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वे स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति अत्यंत जागरूक थे।

उदाहरण:
मोहनजोदड़ो की खुदाई में मिली नालियाँ आज के आधुनिक सीवर सिस्टम जैसी हैं। यह तथ्य इस सभ्यता की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण है।


  1. आवासीय भवन (Residential Buildings)

हड़प्पा के आवासीय भवन सामाजिक वर्ग और आर्थिक स्थिति के अनुसार भिन्न थे, लेकिन उनका आधारभूत ढाँचा लगभग समान था। अधिकांश घर आयताकार या वर्गाकार थे। घरों में आँगन (Courtyard), कमरे, रसोई, स्नानघर, और शौचालय होते थे। कुछ घरों में निजी कुएँ भी थे। घरों के दरवाज़े गलियों की ओर खुलते थे, मुख्य सड़कों की ओर नहीं — जिससे निजता बनी रहती थी। घरों की दीवारें जलरोधक थीं। उदाहरण: मोहनजोदड़ो में एक दो-मंज़िला घर मिला है, जिसमें 6 कमरे, एक निजी कुआँ और एक स्नानागार है। यह इंगित करता है कि हड़प्पावासियों के घर न केवल कार्यात्मक बल्कि आरामदायक भी थे।


  1. सार्वजनिक भवन (Public Buildings)

हड़प्पा नगरों में सार्वजनिक उपयोग की इमारतें अत्यंत महत्त्वपूर्ण थीं।

  1. महास्नानागार (Great Bath) – मोहनजोदड़ो में स्थित यह स्नानागार धार्मिक या सामाजिक अनुष्ठानों के लिए प्रयुक्त होता था। इसका जल निकास तंत्र और संरचना आज भी अद्भुत मानी जाती है।
  2. अनाजागार (Granaries) – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगन और लोथल में बड़े-बड़े अनाजागार मिले हैं। इनकी दीवारों में वायु संचार के लिए छिद्र बनाए गए थे।
  3. सभा भवन (Assembly Hall) – मोहनजोदड़ो में मिला एक विशाल हॉल प्रशासनिक या सामाजिक सभाओं के लिए प्रयोग किया जाता होगा।

इन भवनों से यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पावासी सामूहिकता और सार्वजनिक जीवन में विश्वास रखते थे।


  1. जल प्रबंधन व्यवस्था (Water Management System)

जल की आपूर्ति और संचयन की दृष्टि से हड़प्पा सभ्यता अत्यंत विकसित थी। लगभग हर घर में कुआँ या तालाब से जलापूर्ति की व्यवस्था थी। केवल मोहनजोदड़ो में 700 से अधिक कुएँ मिले हैं। कुछ नगरों में जलाशय और बाँध जैसी संरचनाएँ भी बनी थीं। लोथल में एक विशाल गोदी (Dockyard) का निर्माण किया गया था, जो जल प्रबंधन और व्यापार दोनों के लिए प्रयोग में लाया जाता था। धौलावीरा में वर्षा जल संग्रहण के लिए बड़े-बड़े जलाशय और नहरें बनाई गई थीं।


  1. बाढ़ नियंत्रण और सुरक्षा (Flood Protection and Fortification)

सिंधु और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे नगरों में बाढ़ का खतरा सदैव बना रहता था। इस कारण नगरों को ऊँचे मंचों (Raised Platforms) पर बनाया गया था। कुछ नगरों के चारों ओर मजबूत परकोटे (Fortification Walls) बनाए गए थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में ईंटों के ऊँचे तटबंध मिले हैं। धौलावीरा में पत्थर की विशाल दीवारें थीं जो न केवल सुरक्षा देती थीं बल्कि नगर की सीमा भी दर्शाती थीं।


  1. औद्योगिक क्षेत्र और कार्यशालाएँ (Industrial and Craft Areas)

हड़प्पा के नगरों में उद्योग और व्यापार अत्यंत संगठित थे। मोहनजोदड़ो और चन्हूदड़ो में मनके (Beads) बनाने की कार्यशालाएँ मिली हैं। लोथल में जहाज निर्माण और व्यापार के लिए बंदरगाह था। कालीबंगन में कुम्हारगिरी और धातुकर्म के प्रमाण मिले हैं। हर नगर में उद्योगों के लिए अलग क्षेत्र निर्धारित था, जो नगर नियोजन की उन्नतता दर्शाता है।


  1. बाजार और व्यापारिक व्यवस्था (Markets and Trade System)

नगरों में सड़कों के किनारे छोटी दुकानों की कतारें थीं, जहाँ व्यापारी अपने सामान का लेन-देन करते थे। व्यापारिक गतिविधियों के लिए लोथल और मोहनजोदड़ो प्रमुख केंद्र थे। वस्तु-विनिमय के अलावा माप-तौल के मानक (Weights and Measures) भी प्रयुक्त होते थे। पत्थर और तांबे के भार मिले हैं जिनका आकार और वजन सभी नगरों में समान है। यह समानता इस बात का प्रमाण है कि पूरे क्षेत्र में एकीकृत आर्थिक व्यवस्था थी।


  1. प्रशासन और संगठन (Administration and Organization)

इतना उन्नत नगर निर्माण तभी संभव था जब कोई संगठित प्रशासन कार्यरत हो। नगरों की साफ-सफाई, जल निकासी और भवन निर्माण का कार्य किसी स्थानीय निकाय या अधिकारी वर्ग द्वारा नियंत्रित किया जाता होगा। संभवतः एक केन्द्रीय प्राधिकरण (Central Authority) था जो सभी नगरों में समान योजना का पालन करवाता था। नगर नियोजन की समानता यह दर्शाती है कि यह सभ्यता एक संघीय या समन्वित प्रशासनिक ढाँचा रखती थी।


  1. सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि (Social and Cultural Aspects)

हड़प्पा का नगर विन्यास केवल तकनीकी या वास्तुशिल्पीय नहीं था, बल्कि वह उनके सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक भी था। घरों की समानता सामाजिक समरसता को दर्शाती है। सार्वजनिक भवनों का निर्माण यह संकेत देता है कि समाज सामूहिकता और सामाजिक दायित्वों में विश्वास रखता था। स्नानागार जैसे निर्माण धार्मिकता और पवित्रता के प्रतीक थे।


  1. धौलावीरा का विशेष नगर विन्यास (Unique Town Planning of Dholavira)

धौलावीरा (गुजरात) हड़प्पा सभ्यता का एक अनोखा स्थल है जहाँ नगर को तीन भागों में बाँटा गया था — दुर्ग, मध्य नगर और निचला नगर। यहाँ पत्थरों से बनी विशाल दीवारें थीं, जो अन्य नगरों में नहीं मिलीं। यहाँ वर्षा जल संचयन के लिए बड़े जलाशय, बाँध और नहरें थीं। धौलावीरा की योजना इतनी उन्नत थी कि यह आधुनिक नगर नियोजन से मेल खाती है।


  1. तुलनात्मक अध्ययन (Comparison with Other Civilizations)

हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन की समकालीन सभ्यताओं से कहीं अधिक वैज्ञानिक थी। मिस्र और मेसोपोटामिया में धार्मिक भवन प्रमुख थे, जबकि हड़प्पा में नागरिक सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई। हड़प्पा के नगरों में कोई भव्य मंदिर या राजा का महल नहीं मिला, जिससे यह प्रतीत होता है कि यहाँ सामाजिक समानता और जनसुविधा का भाव था।

हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ | Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization

निष्कर्ष (Conclusion)

हड़प्पा सभ्यता का नगर विन्यास मानव इतिहास की सर्वोत्तम शहरी उपलब्धियों में से एक है। लगभग 4500 वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसी उन्नत तकनीक, इंजीनियरिंग, स्वच्छता, जल प्रबंधन और संगठनात्मक कौशल का होना आश्चर्यजनक है। इन नगरों की योजना इस बात का प्रमाण है कि हड़प्पावासी न केवल कुशल शिल्पकार थे बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि वाले समाज निर्माता भी थे। उन्होंने नगरों को मानव जीवन की सभी आवश्यकताओं — सुरक्षा, स्वच्छता, सुविधा और सौंदर्य — को ध्यान में रखकर बसाया था। हड़प्पा के नगर आज भी आधुनिक नगर नियोजन के आदर्श उदाहरण हैं। यह सभ्यता इस तथ्य को प्रमाणित करती है कि भारत का प्राचीन समाज केवल धार्मिक या कृषिपरक नहीं था, बल्कि वह वैज्ञानिक, शहरी और संगठित समाज था।


Spread the love

1 thought on “हड़प्पा सभ्यता के नगर विन्यास की प्रमुख विशेषताएँ | Main Features of Town Planning of the Harappan Civilization”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top