शिक्षण की रचनात्मक विधि (Constructivist Method of Teaching)
वर्तमान समय में शिक्षण-अधिगम के क्षेत्र में रचनात्मक अधिगम एवं शिक्षण विधि (Constructivist Learning and Teaching Method) एक नवीन संकल्पना के रूप में उदित हो रहा है। इस विधि की मूलभूत मान्यता यह है कि अधिगम का सम्बन्ध विद्यार्थियों के ज्ञान एवं अनुभवों के पुनर्निर्माण से सम्बन्धित होता है। इसलिए शिक्षक अपने शिक्षण विधि को ज्ञान के हस्तान्तरण में प्रयुक्त न करके विद्यार्थियों के ज्ञान एवं अनुभवों को पुनर्निर्माण से सम्बन्धित करके प्रयुक्त करना चाहिए। शिक्षक की शिक्षण विधि ऐसी होनी चाहिए जिससे वह विद्यार्थियों को स्वयं ज्ञान का सृजन करके सीखने की ओर उन्मुख करे। शिक्षण की रचनात्मक विधि संज्ञानात्मक मनोविज्ञान की देन कही जाती है। इस शिक्षण विधि को आधार रूप देने का श्रेय जान डीवी को है किन्तु इसको विस्तारित एवं व्यवस्थित स्वरूप देने में जीन पियाजे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिमोर पेपर्ट (Seymour Papert) जो जिनेवा विश्वविद्यालय में जीन पियाजे के परम सहयोगी एवं शिष्य थे, उन्होंने जीन पियाजे द्वारा किये गये शोध कार्यों को नया स्वरूप प्रदान करते हुए जान डीवी के विचारधारा से उसे जोड़कर ज्ञान-मीमांसा एवं अधिगम सिद्धान्तों के परिप्रेक्ष्य में इक्कीसवीं सदी में नूतन आयाम के रूप में रचनात्मक विधि (Constructivist Method) को अस्तित्ववान बनाया। अतः सिमोर पेपर्ट को रचनात्मक अधिगम एवं शिक्षण विधि का प्रणेता माना जाता है। वान ग्लेसर फिल्ड (Von Glaserfield) ने रचनात्मक अधिगम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि- “रचनात्मकवाद ज्ञान का एक ऐसा सिद्धान्त है जिसकी नींव दर्शन, मनोविज्ञान तथा साइवरनोटिक्स में दिखाई देती है। इसका आधार संज्ञानात्मक मनोविज्ञान एवं जीव विज्ञान में निहित है। यह शिक्षा के क्षेत्र में बाह्य जगत को समझने के लिए ज्ञान के सृजन करने की विधियों पर बल देता है।”
रचनावादी शिक्षण के अंतर्गत शिक्षार्थी अपनी सीखने की यात्रा में सक्रिय भागीदार होते हैं और अनुभवों के आधार पर ज्ञान का निर्माण होता है। जैसे-जैसे घटनाएं घटती है, प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुभव को प्रतिबिंबित करता है और अपने पूर्व ज्ञान के साथ नए विचारों को शामिल करता है।
शिक्षार्थी अर्जित ज्ञान को व्यवस्थित करने के लिए स्कीमा विकसित करते हैं। इस मॉडल का प्रयोग डीवी,पियाजे, वायगोत्स्की और ब्रूनर द्वारा सीखने के क्षेत्र में किया गया।
रचनात्मकवाद शिक्षण में विद्यार्थी मूल रूप से समूह में कार्य करते हैं। इसके अनुसार ज्ञान का निर्माण अधिगमकर्ता के पूर्व ज्ञान पर आधारित होता है। विद्यार्थी वस्तुओं एवं उन्हें प्रस्तुत की गई गतिविधियों से ही सक्रिय रूप से पुराने अनुभवों को नए विचारों से जोड़ते हुए ज्ञान का सृजन करते हैं।
रचनात्मकवाद शिक्षण के अनुसार ज्ञान अनुभवों के माध्यम से निर्मित होता है, इसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।
Elements of constructivism (रचनात्मकवाद के तत्व)
* पूर्व ज्ञान को क्रियाशील करना Activating prior knowledge
* नए ज्ञान को प्राप्त करना Acquiring new knowledge
* नए ज्ञान को समझना Understanding new knowledge:
* नए ज्ञान को प्रयोग करना Using new knowledge
* नए ज्ञान का प्रतिक्षेपण करना Reflecting new knowledge
Main features of constructivism (रचनावाद की मुख्य विशेषताएं या लाभ )
* रचनात्मक उपागम में विद्यार्थी समूह में कार्य करते हैं और विद्यार्थी स्वयं ज्ञान का सृजन करता है।
• रचनात्मक उपागम में कक्षा का वातावरण प्रजातांत्रिक होता है।
* इस उपागम में अधिक से अधिक शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
* अध्यापक अधिगम प्रक्रिया में सहायता करता है जिससे विद्यार्थी एक उत्तरदायी सदस्य के रूप में कार्य करने के लिए उत्साहित रहते हैं ।
* रचनात्मक उपागम शिक्षण पर नहीं अपितु अधिगम पर केंद्रित है।
• इस उपागम में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है
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