शिक्षण की जिग्सा गतिविधि(Jigsaw Activity Of Teaching)
जिग्सॉ गतिविधि: (Jigsaw Activity):
जिग्सॉ गतिविधि 1970 के दशक की शुरुआत में इलियट एरॉन्सन द्वारा डिजाइन की गई थी। यह एक प्रकार की सहयोगी शिक्षण तकनीक है।
जिग्सा एक पहेलीनुमा गतिविधि के रूप में है जहाँ शिक्षार्थियों का एक समस्या समाधान निकालने के लिए समूह में विभाजित किया जाता है। इस युक्ति में शिक्षार्थीगण एक विषयवस्तु के एक पक्ष में दक्ष बनते हैं तथा उसके बाद अपनी दक्षता को दूसरों के साथ साझा करते हैं।
इसके अंतर्गत सबसे पहले एक विषय को कुछ संघटक भागों में विभक्त करते हैं। इसके बाद 3 से 5 शिक्षार्थियों का एक उपसमूह बनाकर प्रत्येक उपसमूह को विषय का एक अलग-अलग टुकड़ा पूर्ण करने के लिए दें (या यदि कक्षा बड़ी है तो प्रत्येक उपविषय को दो या अधिक उपसमूहों को पूर्ण करने के लिए दें)।
प्रत्येक समूह का कार्य है कि वे विचारावेशन, विचार का विकास करके और यदि समय हो तो शोध के द्वारा विशेष उपविषय पर दक्षता का विकास करते हैं। एक बार जब शिक्षार्थीगण एक विशेष उपविषय में दक्षता हासिल कर लेते हैं तो समूहों के सदस्यों को मिलाकर नया समूह बनाएं ताकि प्रत्येक नए समूह के सदस्यों के पास एक अलग क्षेत्र में दक्षता हासिल हो ।
शिक्षार्थीगण बारी-बारी से अपनी दक्षता को दूसरे समूह के सदस्यों के साझा करें जिसके फलस्वरूप मुख्य विषय के बारे में ज्ञान की पहेली का समाधान की रचना होती है। अलग-अलग क्षेत्रों की दक्षता कार्य देने का एक सुविधाजनक तरीका है, शिक्षार्थियों को अलग-अलग रंगों की पुस्तिका वितरित करना ।
समूह कार्य के प्रथम चरण के लिए समान रंग की पुस्तिका वाले शिक्षार्थियों को एक समूह में रखा जाता है, दूसरे चरण में नए निर्मित समूह के प्रत्येक सदस्य के पास एक अलग रंग की पुस्तिका होनी चाहिए। जिग्सा थका देने वाले समग्र सत्र से बचने में सहायता करता है क्योंकि अधिकांश सूचना को छोटे समूह में साझा किया जाता है।
इस विधि के विस्तार में शिक्षार्थियों का उनके उपविषय के बारे में दक्षता विकास पहले कक्षाकक्ष के बाहर स्वतंत्र शोध के द्वारा किया जा सकता है। तत्पश्चात् जब वे उनसे मिलते हैं जिनके पास समान उपविषय होता है, तो वे अपनी दक्षता को स्पष्ट तथा विस्तार करके एक नए समूह में जाते हैं।
जिग्सॉ गतिविधि का लाभ –
1) जिग्सा के लाभ में, मौलिक समस्या को खोजने की योग्यता, सामग्री के साथ सभी शिक्षार्थियों की संलग्नता तथा एक साथ कार्य करने की प्रक्रिया में संलग्नता, एक-दूसरे से सीखना और साझा करना, तथा विभिन्न विचारों का समालोचनात्मक ढंग से विश्लेषण करना सम्मिलित है।
2) इसका उद्देश्य छात्रों को अन्योन्याश्रयता को बढ़ावा देने में सक्षम बनाना है, जहां छात्रों को सफल होने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर बनाया जाता है।
3) इससे सामान्यतौर पर पारंपरिक रूप से पूरी कक्षा या व्यक्तिगत निर्देश के साथ तुलना करने पर बेहतर शैक्षणिक उपलब्धि प्राप्त करता है। यह शायद उस तथ्य के कारण होता है कि ये रणनीतियां छात्रों को सक्रिय शिक्षार्थी बनाती हैं और उनके लिए अधिगम को रोचक और सुखद भी बनाती हैं।
4) यह जांच कौशल, रचनात्मक सोच और महत्वपूर्ण सोच क्षमताओं के विकास के लिए उपयोगी है।
5) यह आवश्यक संदर्भों को खोजने और संदर्भ पुस्तकों, दस्तावेजों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और जानकार व्यक्तियों जैसे विभिन्न स्रोतों से आवश्यक जानकारी एकत्र करने जैसे स्व-अध्ययन कौशल को विकसित करता है।
जिग्सॉ गतिविधि की कमी या सीमाएं –
इसकी एक संभावित कमी यह है कि शिक्षार्थी एक विषय विशेष पर केवल एक समूह की दक्षता के बारे में सुनते हैं तथा संपूर्ण कक्षा के परिज्ञान से ज्यादा लाभ नहीं उठा पाते हैं।
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