माध्यमिक शिक्षा का अर्थ और वर्तमान स्थिति | Madhyamik shiksha ki vertman stithi

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माध्यमिक शिक्षा का अर्थ और वर्तमान स्थिति , madhyamik shiksha ki vertman stithi



माध्यमिक शिक्षा का अर्थ 

कार्टन बी. गुड के अनुसार ‘माध्यमिक शिक्षा, शिक्षा का वह समय है जो सामान्यतः 12 से 17 वर्ष की उम्र के बालक-बालिकाओं के लिए होता है। इस काल में अध्ययन के प्रमुख उपकरणों का प्रयोग, स्वामित्व, अभिव्यक्ति व विचारिक स्वतंत्रता, विविध जानकारी प्राप्त करने, बौद्धिक, कुशलता, अभिरूची और आदर्शों तथा आदतों के निर्माण पर बल दिया जाता है।’

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि माध्यमिक शिक्षा किशोरावस्था की शिक्षा है। इससे पूर्व बाल्यावस्था में प्राथमिक शिक्षा तथा युवावस्था में उच्च शिक्षा को सम्मिलित किया जा सकता है। भारत में माध्यमिक शिक्षा का काल 14 से 18 वर्ष की आयु का माना गया है। इसके अंतर्गत कक्षा 9 से 12 तक की होती है। वर्ग नवम् एवं दशम् को माध्यमिक एवं वर्ग 11 और 12 को उच्चतर माध्यमिक शिक्षा कहा जाता है।

11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए माध्यमिक और व्यावसायिक शिक्षा पर कार्यकारी समूह (Working Group) के रिपोर्ट के अनुसार- ‘माध्यमिक शिक्षा शैक्षिक पदसोपान में महत्वपूर्ण स्तर होता है, यह बच्चों को उच्च शिक्षा और कार्य के दुनिया के लिए तैयार करता है। कक्षा नवम् और दशम् माध्यमिक स्तर को बनाता है, और कक्षा 11 और 12 उच्चत्तर माध्यमिक स्तर के लिए डिजाईन किया गया है। माध्यमिक वर्गों के बच्चों का सामान्य उम्र 14-16 वर्ष होता हैं वहीं उच्चत्तर माध्यमिक कक्षाओं के लिए 16-18 वर्ष होता है। 

माध्यमिक शिक्षा की वर्तमान स्थिति (Current status of Secondary Education) –

वर्ष 2000 ई0 से पहले माध्यमिक शिक्षा का वृद्धि दर कम थी लेकिन इसके बाद उसमें वृद्धि हुई। वर्ष 2005-06 में भारत में उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 53,619 थी तथा उच्च विद्यालयों की संख्या 1,06,082 थी। 2021 में उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों की संख्या लगभग 142000 तथा उच्च विद्यालयों की संख्या लगभग 1,50000 हो गई है। 2005-06 में माध्यमिक शिक्षा में कुल 38.5 मिलियन बच्चे नामांकित थे। उच्च विद्यालयों में 25.0 मिलियन छात्र पढ़ते थे और 13.4 मिलियन छात्र उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत थे। 2021 में उच्च माध्यमिक में 79.6% और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में 57.6% बच्चे नामांकित हुए है। नामांकन में यह वृद्धि 2000-01 के तुलना में लगभग 10 मिलियन से अधिक दिखता है। स्पष्ट है कि केवल 5 वर्ष में ही 10 मिलियन बच्चों के नामांकन में तेजी दिखा जबकि 2000 ई0 के पहले 10 वर्ष में केवल 8 मिलियन नामांकन में वृद्धि हुई। वर्ष 2001-01 में यह आँकड़ा 28.8 मिलियन था। 1990-91 ई० में 20.9 मिलियन छात्र नामांकित थे जबकि 2000-01 में 28.8 मिलियन। इस प्रकार इस दशक में में लगभग 8 मिलियन नामांकन में बढ़ोत्तरी हुई।

माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर कुल नामांकन दर (G.E.R.) के आँकड़ों पर गौर करने पर पाते हैं कि वर्ष 1961-62 में 11 प्रतिशत नामांकन दर था, वहीं 2001-02 में 33 प्रतिशत हुआ। 2005-06 में यह आँकड़ा बढ़ा और 40 प्रतिशत हुआ। इनमें वर्ग नवम् एवं दशम् में 52 प्रतिशत नामांकन हुआ जबकि कक्षा 11वीं एवं 12वीं में 28 प्रतिशत कुल नामांकन दर था। उच्च विद्यालयों में 45 प्रति बालक नामांकित हुए और 36 प्रतिशत बालिकाओं का नामांकन हुआ वर्ष 2005-06 में ही अनुसूचित जनजाति का नामांकन दर 29 प्रतिशत था जबकि अनुसूचित जातियों का नामांकन दर 37 प्रतिशत था। केरल और तमिलनाडू में कुल नामांकन दर 64 प्रतिशत था जबकि बिहार और झारखण्ड में यह मात्र 16 प्रतिशत था।

2002-03 के संदर्भ से ग्रामीण क्षेत्रों में कुल नामांकन दर 26.2 प्रतिशत थे जबकि इन क्षेत्रों में बालिकाओं का कुल नामांकन दर 22 थी। 7वाँ ऑल इंडिया एजुकेशनल सर्वे (2002-03) के अनुसार लगभग 20 प्रतिशत जनसंख्या उच्च विद्यालयों में और 30 प्रतिशत जनसंख्या उच्चत्तर माध्यमिक शिक्षा हेतु क्रमशः 5 किलोमीटर और 8 किलोमीटर के दायरे / पहुँच से दूर थे। अनुसूचित जनजाति के बालकों के लिए माध्यमिक शिक्षा उनके बहुत बिहड़ आवास स्थानों के कारण बहुत ही सीमित तरिके से पहुँचा। ग्रामीण क्षेत्रों के जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण भाग तक उच्च विद्यालय की पहुँच नही हो पाई है। विद्यालयों में ड्रापआउट की समस्या भी काफी हद तक कम हुई है। 

माध्यमिक शिक्षा से संबंधित हाल के कुछ वर्षों का सरकारी रिपोर्ट-


सत्र 2013-14 की रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सत्र 2013-14 में शिक्षा से संबंधित विभिन्न प्रकार के ऑकडे अपने प्रकाशन एजुकेशनल स्टैटिक्स एट अ ग्लांस में प्रकाशित की है। इस दस्तावेज में शिक्षा के सभी प्रकार जैसे प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा से संबंधित ऑकटे हैं। माध्यमिक शिक्षा (कक्षा नवम् एवं दशम्‌ के बारे में जो ऑकटे है, वो निम्नांकित है-

1.जनसंख्या- 

उम्र (14-15 वर्ष) के हिसाब से वर्ष 2012ई0 में माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 9 एवं 10) प्राप्त कर रहे छात्रों की अनुमानित कुल जनसंख्या 50691000 है इसमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या 8882000 तथा अनुसूचित जनजाति का जनसंख्या 4662000 है। वहीं वर्ष 2013 में इस उम्र के छात्रों की कुल अनुमानित जनसंख्या 50244000 है जिसमें 8803000 अनुसूचित जाति से तथा 4610000 जनसंख्या अनुसूचित जनजाति से हैं।

2. नामांकन स्थिति- 

माध्यमिक शिक्षा में इस सत्र में सभी वर्गों के कुल नामांकित विद्यार्थियों की कुल संख्या 36961000 है जिसमें 19484000 लड़का तथा 17477000 लड़कियों की संख्या है। अनुसूचित जाति के कुल नामांकित विद्यार्थियों की संख्या 6820000 है जिसमें 3589000 छात्र तथा 3231000 छात्रा हैं। इसी तरह अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुल विद्याार्थियों की संख्या 31164000 है, जहाँ 1641000 छात्र तथा 1523000 छात्रायें हैं।

3. कुल नामांकन दर (जी.ई.आर.) 

इस रिपोर्ट के अनुसार कक्षा नवम् तथा दशम् में कुल नामांकन दर सभी वर्गों के लिए 73.6 है जिसमें लड़कों का जीईआर 73.5 तथा लड़कियों का 73.7 है। अनुसूचित जाति वर्ग का कुल जी. ई.आर. 76.1 है जिसमें छात्रों का जीईआर 76.0 तथा छात्राओं का 76.2 है। अनुसूचित वर्ग के सभी विद्यार्थियों का जी.ई.आर. 67.1 है जिसमें लड़को का जीईआर 67.5 तथा लड़कियों का 66.7 है।

4. शिक्षक एवं छात्र का अनुपात 

माध्यमिक स्तर पर भारत में शिक्षक-छात्र अनुपात 28 है। देश में माध्यमिक स्तर के कुल शिक्षकों की संख्या 1286498 है। जिसमें प्रत्येक 100 पुरूष शिक्षकों में महिला शिक्षकों की संख्या 74 है।

5. लिंग समानता सूचकांक (Gender Parity Index)-

 माध्यमिक स्तर पर यह 1.00 है जिसमें एस.सी, का 1.00 है तथा एस.टी. का 0.98 है।

6. ड्रॉप आउट दर 

कक्षा 1 से 10 तक के सभी विद्याथियों का ड्रॉप आउट दर 47.4 प्रति है जिसमें बच्चों का दर 48.1 प्रतिशत है तथा बच्चियों का 46.7 प्रतिशत है। यह दर अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का 50.1 प्रतिशत है जिसमें बालकों का दर 51.8 है तथा बालिकाओं का 48.0 है। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति में यह दर 62.4 प्रतिशत है जिसमें इस वर्ग के बालकों का दर 63.2 प्रतिशत है तथा 61.4 प्रतिशत बालिकाओं का है।

7. परीक्षा परिणाम 

वर्ष 2013-14 में कुल 167.2 लाख विद्यार्थी वर्ग दशम् के वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित हुए जिसमें 125.4 लाख विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। इस प्रकार कुल 75 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए जिसमें 73.2 प्रतिशत लड़के पास हुए तथा 77.4 प्रतिशत लडकियाँ पास हुई। वार्षिक परीक्षा में कुल 69.0 प्रतिशत एस.सी. वर्ग के छात्र पास हुए जिसमें 67.2 प्रतिशत बालक थे तथा 71.3 प्रतिशत बालिकायें थी। इसी प्रकार 62.0 प्रतिशत एस.टी. विद्यार्थी पास हुए जिसमें छात्रों का प्रतिशत 62.4 तथा बालिकाओं का प्रतिशत 61.5 है।

8. शिक्षा में खर्च

 विभिन्न वर्षों के बजट में शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक निश्चित राशि खर्च करने की घोषणा होती है। वर्ष 2010-11 में शिक्षा पर कुल खर्च 293478.25 रखा गया जिसमें से माध्यमिक शिक्षा के लिए 71358.36 हजार खर्च करने की बात की। कुल सकल घरेलू उत्पाद (डिजीपी) का 4.05 प्रतिशत शिक्षा के विकास हेतु आबंटित की गई, जिसमें 0.98 प्रतिशत रूपये माध्यमिक शिक्षा के खर्च के लिए रखा गया।


मा० व उच्च मा० शिक्षा हेतु केन्द्र व राज्य सरकार की योजनायें

शिक्षा नीतियों की सिफारिशो का आधार पर शिक्षा की गुणवत्ता बढाने हेतु भारत सरकार ने अलग-अलग समय पर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिये विभिन्न प्रकार की योजनाऐं प्राप्त की जो निम्न हैं:-

1-राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान

2-मा० स्तर की छात्राओं के लिये छात्रावास निर्मित करने एवं चलाने की योजनाएं।

3-विद्यालयों में विज्ञान शिक्षा को बढावा।

4-मा० स्तर पर अशक्तों के लिये समावेशी शिक्षा IEDSS

5-600 मॉडल स्कूलों की स्थापना

6.10+2 स्तर पर मा० शिक्षा का व्यवसायीकरण

7-राष्ट्रीय खुला विद्यालय (NIOS)

8-शैक्षिक टैक्नोलोजी कार्यक्रम

9-केन्द्रीय विद्यालय

10-नवोदय विद्यालय

11-प्रधानमत्री नवाचार शिक्षण कार्यकम

12-भाषा शिक्षकों की नियुक्ति

13-बालिकाओं को राष्ट्रीय प्रोत्साहन

14-राष्ट्रीय साधन सह-मेरिट छात्रवृति योजना

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