Sociology

सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के बीच अन्तर | samajik parivertan aur sanskritik parivertan ke beech anter

सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के बीच अन्तर- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ क्या है , सामाजिक परिर्वतन की परिभाषा और विशेषताएं  के बारे में हम पढ़ चुके है। इस पोस्ट में हम सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच अन्तर को अच्छे से देखेंगे । सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के बीच अन्तर की इस पोस्ट को पढ़ने के […]

सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के बीच अन्तर | samajik parivertan aur sanskritik parivertan ke beech anter Read More »

सामाजिक परिवर्तन का अर्थ,परिभाषा और विशेषताएं | Samajik parivertan ka arth aur vishestaye

 सामाजिक परिवर्तन  समाजिक परिर्वतन के बारे में ,सामाजिक परिवर्तन का अर्थ क्या है,सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएं,सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा का इस पोस्ट में विस्तार से बताया गया है ।  सामाजिक परिवर्तन का अर्थ ‘परिवर्तन’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में किया जाता है। यद्यपि हमारे आस-पास हमेशा परिवर्तन होता रहता है। पर यह सामाजिक परिवर्तन नहीं

सामाजिक परिवर्तन का अर्थ,परिभाषा और विशेषताएं | Samajik parivertan ka arth aur vishestaye Read More »

आधुनिकीकरण का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

आधुनिकीकरण आधुनिकीकरण शब्द लैटिन भाषा के मॉडल से लिया गया है जिसका अर्थ है अभी-अभी या नवीनतम । आधुनिकीकरण बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तनों की एक व्यापक प्रक्रिया है जो एक बार गति में आने के बाद जीवन के सभी क्षेत्रों – आर्थिक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र ,राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश कर जाती और परिवर्तन लाती

आधुनिकीकरण का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं Read More »

सुरजीत सिन्हा का सभ्यतागत परिप्रेक्ष्य

सुरजीत सिन्हा का सभ्यतागत परिप्रेक्ष्य  (Civilization Perspective of Sinha ) सुरजीत सिन्हा जीवन-चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ (Surajit Sinha: Life-sketch and Main Works) सुरजीत सिन्हा का जन्म 1926 ई० में हुआ था। वह रोबर्ट रैडफील्ड के शिष्यों में से एक हैं। उनका प्रमुख कार्य भूमिज हिन्दू अन्तर्क्रिया पर है एवं वह यह भी नहीं स्वीकारते कि

सुरजीत सिन्हा का सभ्यतागत परिप्रेक्ष्य Read More »

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम – Indological perspective

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम (Indological perspective of G.S Ghurye) भारत विद्या परिप्रेक्ष्य इण्डोलॉजी शब्द का प्रयोग एक स्वतंत्र विज्ञान और एक अध्ययन के परिप्रेक्ष्य दोनों रूपों में किया जाता है। एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में इण्डोलॉजी का तात्पर्य भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन धर्मग्रंथों एवं महाकाव्यों (वेद, पुराण, उपनिषद, ब्राह्मण आदि), भाषाओं

जी एस घुर्ये का भारत विद्याशास्त्रीय उपागम – Indological perspective Read More »

कार्ल मार्क्स का अलगाव का सिद्धांत

कार्ल मार्क्स का अलगाव का सिद्धांत (Marx’s Theory of Alienation) मानवतावादी विचारक कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज के आलोचना के विश्लेषण के क्रम में श्रमिकों के अमानवीय दशाओं के चित्रण करने हेतु अलगाव की अवधारणा को प्रस्तुत किया है और इसे (अलगाव को) एक ऐसी सामाजिक मनोवैज्ञानिक दशा या स्थिति के रूप में परिभाषित किया है

कार्ल मार्क्स का अलगाव का सिद्धांत Read More »

मैलिनॉस्की का विनिमय सिद्धांत | Malinowoski ka vinimay siddhant

 मैलिनॉस्की का विनिमय सिद्धांत | Malinowoski ka vinimay siddhant  मैलिनॉस्की ने मलेशिया और आस्ट्रेलिया में प्रचलित कई व्यवस्थाओं के रूप में ‘कुला’ की व्याख्या की, जो उपहार-विनिमय की एक विख्यात प्रथा है। यह प्रथा न्यूगिनी, ट्रोब्रियाण्डा-द्वीप, एम्लेट द्वीप, लाफेल द्वीप तथा डोबू में पायी जाती है। इन लोगों की संस्कृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं, फिर भी वे

मैलिनॉस्की का विनिमय सिद्धांत | Malinowoski ka vinimay siddhant Read More »

रॉल्फ डेहरनडॉर्फ का संघर्ष सिद्धांत

संघर्ष सिद्धांत: रॉल्फ डेहरेनडॉर्फ रॉल्फ डेहरनडॉर्फ का संघर्ष सिद्धांत मूलतः सत्ता के सम्बन्धों पर आधारित है। सत्ता संरचना प्रत्येक सामाजिक संगठन का एक अभिन्न भाग होती है; अनिवार्य रूप में स्वार्थ समूहों को संगठित करती है उन्हें निश्चित स्वरूप प्रदान करती है और इस रूप में संघर्ष की सम्भावनाओं को जन्म देती है। समाज में

रॉल्फ डेहरनडॉर्फ का संघर्ष सिद्धांत Read More »

कार्ल मार्क्स के धर्म पर विचार

धर्म का मार्क्सवादी सिद्धांत / मार्क्स का धर्म सिद्धांत (Marx’s religion theory) मार्क्स ने पूँजीवादी व्यवस्था के विश्लेषण के क्रम में मानव समाज के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित किया है जिसके अंतर्गत वह समाज के अर्थव्यवस्था तथा उत्पादन प्रणाली को समाज के आधार के रूप में स्वीकार किया है और सामाजिक ढाँचे के

कार्ल मार्क्स के धर्म पर विचार Read More »

ब्रोनिसलॉ मैलिनॉस्की का प्रकार्यवाद

 प्रकार्यवादः ब्रोनिसलॉ मैलिनॉस्की (Malinowski’s Functionalism) मैलिनॉस्की प्रथम सामाजिक-सांस्कृतिक मानवशास्त्री थे जिन्होंने प्रकार्यवादी विचारधारा को व्यवस्थित किया। साथ ही वे ऐसे भी प्रथम मानवशास्त्री थे जिसने किसी अपरिचित संस्कृति का अध्ययन एक लम्बे समय तक उन लोगों के बीच में रहकर किया (सहभागी अवलोकन)। एक निर्जन क्षेत्र में लघु समुदाय की अपरिचित संस्कृति को अत्यंत निकट

ब्रोनिसलॉ मैलिनॉस्की का प्रकार्यवाद Read More »

Scroll to Top