Sociology Notes in Hindi

दुर्खीम का आत्महत्या का सिद्धांत | Durkhiem ka aatmahatya ka siddhant

दरखायम ने आत्महत्या संबंधी अपने संपूर्ण अध्ययन को अपनी पुस्तक Suicide : A study in sociology (1897) में प्रस्तुत किया। इसके अध्ययन के लिए उन्होंने ग्यारह देशों यानी इटली, बेल्जियम, इंग्लैंड, नार्वे, आस्ट्रिया, स्वीडन, बेवरिया, फ्राँस, प्रशा, डेनमार्क एवं सेक्सोनी से आत्महत्या संबंधी आँकड़ों को संग्रहित किया। दुर्खीम ने आत्महत्या से संबंधित पूर्व-प्रचलित सभी सिद्धांतों […]

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पश्चिमीकरण का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं | Westernisation meaning and characteristics in hindi

परिचय –  डॉ. एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में परिवर्तन की प्रक्रियाओं का अध्ययन करने हेतु संस्कृतीकरण एवं पश्चिमीकरण की अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। इसे इस दिशा में प्रथम व्यवस्थित प्रयत्न माना जा सकता है। डॉ. श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण शब्द का प्रयोग उन परिवर्तनों को प्रकट करने के लिए किया है जो भारत में

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टालकट पारसंस का सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धांत|Parson’s Theory of Social stratification in Hindi

टालकट पारसंस का सामाजिक स्तरीकरण का सिद्धांत (Talcot Parson’s Theory of Social stratification) प्रकार्यवादियों में टालकट पारसंस अग्रणी हैं । पारसंस के अनुसार समाज के लिए स्थायित्व और सहयोग का होना आवश्यक है। यह तभी संभव है जब समाज के सभी सदस्य कुछ मूल्यों के लिए एक मत हो। जब तक मूल्यों के संबंध में

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सामाजिक समूह का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

परिचय –  समाजशास्त्र के अंतर्गत समूह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधारणा है। इसकी महत्ता इतनी अधिक है कि बोगार्डस, जानसन आदि समाजशास्त्रियों ने समाजशास्त्र को सामाजिक समूहों के अध्ययन का विषय कहा है। सामाजिक समूह का अर्थ एवं परिभाषा (MEANING AND DEFINITION OF SOCIAL GROUP) सामाजिक समूह से तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों के संकलन से है

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टॉयनबी का सामाजिक परिवर्तन का चक्रीय सिद्धान्त

अंग्रेज इतिहासकार अर्नाल्ड जे. टॉयनबी ने विश्व की 21 सभ्यताओं का अध्ययन किया तथा अपनी पुस्तक ‘A Study of History, 1934’ में सामाजिक परिवर्तन का अपना सिद्धान्त प्रस्तुत किया। टॉयनबी के सिद्धान्त को ‘चुनौती एवं प्रत्युतर का सिद्धान्त’ (Theories of ‘Challenge and Response’) ‘भी कहते है। उनके अनुसार प्रत्येक सभ्यता को प्रारम्भ में प्रकृति एवं

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समाज -अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं

अर्थ समाजशास्त्र समाज का विज्ञान’ है। इसीलिए ‘समाज’ समाजशास्त्र की एक प्रमुख अवधारणा है। हम सब लोग समाज में रहते हैं। समाज के बिना हमारा जीवन सम्भव नहीं है। इसीलिए यह भी कहा जाता है कि “जहाँ जीवन है, वहाँ समाज भी है।” वास्तव में, व्यक्ति एक-दूसरे के साथ सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करते हैं। इससे

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एन्टोनियों ग्राम्सी का आधिपत्य का सिद्धांत | Gramsci hegemony theory in hindi

परिचय (Introduction) – नव-मार्क्सवादी समाजशास्त्री के रूप में एन्टोनियों ग्राम्शी एक प्रमुख विचारक हैं। ग्राम्शी का जन्म 22 जनवरी, 1891 को इटली के एक गरीब परिवार में हुआ था।  बचपन में वे शारीरिक रूप से कमजोर व बीमारियों से पीड़ित थे। ग्राम्शी की शिक्षा तुरीन विश्वविद्यालय में हुई थी। ग्राम्शी की राजनीति में काफी रुचि

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सोरोकिन का समाजिक परिवर्तन का सिद्धांत| Sorokin ka sanskritik gatisheelta ka siddhant

सोरोकिन का सांस्कृतिक गतिशीलता का सिद्धान्त (Sorokin’s Theory of Cultural Dynamics) Or  सोरोकिन का समाजिक परिवर्तन का सिद्धांत   Or सोरोकिन का समाजिक परिवर्तन का चक्रीय सिद्धांत सोरोकिन ने अपनी पुस्तक ‘Social and Cultural Dynamics’ में सामाजिक परिवर्तन का सांस्कृतिक गतिशीलता का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उन्होंने मार्क्स, पैरेटो एवं वेबलिन के परिवर्तन सम्बन्धी सिद्धान्तों की आलोचना

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सामाजिक नियंत्रण अर्थ, परिभाषा और प्रकार|Social control in hindi

सामाजिक नियंत्रण अर्थ, परिभाषा और प्रकार  समाजिक नियंत्रण का अर्थ – सामाजिक सम्बन्धों की व्यवस्था समाज है। व्यक्ति इसका मूल निर्मायक अंग है। व्यवस्था शब्द अनुशासन का प्रतीक तथा व्यक्तियों के परस्पर सम्बन्धों को मर्यादित और नियमानुकूल बनाये रखने का साधन है। इसी की आपूर्ति करने वाला नियन्त्रण सामाजिक नियन्त्रण कहलाता है जिसके अन्तर्गत व्यक्ति

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क्लिफर्ड गीर्टज के धर्म पर विचार |Clifford Geertz ke dharm sambandhi vichar

क्लिफर्ड गीर्टज के धर्म पर विचार क्लिफर्ड गीर्टज अमेरिकी मानवविज्ञानी थे। इन्होंने ज्यादातर अध्ययन सांस्कृतिक प्रतीकों का किया है। इन्हे संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे सांस्कृतिक मानव विज्ञानी माना जाता है। क्लिफर्ड गीर्टज ने धर्म संबंधित विचारो मे महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपनी पुस्तक ” The Interpretation of Culture” और निबंध “Religion as a

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