Bharat ki vertman videshniti | भारत में मोदी की विदेशनीति |

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भारत में मोदी की विदेशनीति (Modi’s Foriegn policy in India )

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हाल के कुछ वर्षों में, 2014 में नई सरकार के गठन के साथ ही दशकों से चली आ रही देश की विदेश नीति में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिले हैं। पहले की हमारी विदेश नीति या दूसरे शब्दों में कहें तो नेहरूवादी आम सहमति की गुटनिरपेक्ष नीति में एकाएक परिवर्तन कर दिया गया है। पूर्व की हमारी संकुचित और आत्म-सीमित नीति, जो विश्व को एक जाल की तरह देखती थी; अब उसे अवसर के रूप में देखने लगी है। वर्तमान में भारत, न केवल विश्व के घटनाक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदार बना हुआ है, बल्कि विश्व की दिशा-परिवर्तन का भी एक हिस्सा बनने के प्रयत्न में है।
                        May 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बागडोर संभाली तब उनकी विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य भारत की बेहतर छवि बनाने और भारत को विश्वपटल पर एक उभरती हुई शक्ति के रूप में दिखने का था। प्रधानमंत्री विदेश नीति को पंचशील, गुटनिरपेक्षता, धर्मनिरपेक्षता आदि के आदर्शवादी विचारों में न बांधकर, व्यवहारिकता की कसौटी पर कसते हैं। उनकी नीति में महत्वपूर्ण यह होता है कि भारत की सुरक्षा, आर्थिक तरक्की और सम्मान में क्रमशः वद्धि होती रहे। देश के सतत वृद्धि के लिए जिस प्रकार की रणनीति की जरुरत होती है, वह रणनीति प्रधानमंत्री मोदी परिस्थितियों के अनुसार बनाते हैं और उसे लागू करने की पूरी हिम्मत रखते हैं। मोदी की रणनीति में लचीलापन होता है।मोदी की विदेशनीति की विशेषताएँ इस प्रकार है:-

1) सर्वप्रथम पड़ोसी-

प्रधानमंत्री मोदी पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को महत्वपूर्ण मानते हैं। पहले कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में SAARC के सभी देशों के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शामिल होने का निमंत्रण दिया था। लेकिन पांच सालों के दौरान पाकिस्तान ने भारत के साथ कई छल किए जिसमें आखिरी छल पुलवामा  हमला  था। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीति अपना ली और अपने दूसरे शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के राष्ट्रध्यक्षों को आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री मोदी के लिए आज भी पड़ोसी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे उन्हीं पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए आगे बढ़े हैं, जो भारत की सुरक्षा और आर्थिक तरक्की में साथ देते हैं |हाल ही मे, मोदी सरकार ने यह घोषणा की है कि वे छोटे पड़ोसी देशों ( नेपाल, मालदीव) के लिए उदार होंगे। मोदी सरकार की नेबरहुड फर्स्ट की विशिष्ट नीति के तहत वे छोटे छोटे देशों को आर्थिक सहायता के साथ साथ विभिन्न परियोनाओं की भी नींव रखेगा।मोदी की पड़ोस विदेश नीति में तीन C को महत्व दिया जाता है  connectivity, cooperation , Contact


2)एक्ट ईस्ट पॉलिसी Act east policy:-

मोदी के द्वारा आधारभूत संरचना के बेहतर विकास के लिए आसियान(ASEAN) देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए पूर्व की ओर देखो Look for East की नीति के स्थान पर एक्ट ईस्ट पॉलिसी Act east policy का निर्माण किया गया।


3)चीन को रणनीतिक जवाब- 

भारत और चीन के बीच विवादस्पद संबंध हैं। चीन की रणनीति का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने एस जयशंकर को देश का नया विदेश मंत्री बनाया है। अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी मालदीव का सबसे पहले विदेशी दौरा कर के, फिर वह श्रीलंका का दौरा किया। विदेशमंत्री भी अपने पहले दौरे में भूटान गए। मालदीव, भूटान और श्रीलंका तीनों ही ऐसे देश हैं जिस पर चीन की लगातार नजर रहती है और हर उस मौके की तलाश में रहता है जब वह इन देशों को पाकिस्तान की तरह अपना आर्थिक रुप से गुलाम बना सके। एस जयशंकर के रूप में विदेशमंत्री नियुक्त करके प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के साथ साथ चीन को साधने की योजना का पहला कदम उठाया है। हाल ही में मोदी सरकार ने भारत में प्रचलित कई चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित किया और भारत चीन सीमा विवाद में दोनों पक्षों की ओर से सैनिक कार्यवाही हुई।इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ शांति समझौते को लेकर बात हो रही है। अतः स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन के साथ अच्छे संबंधों को बनाए रखने के साथ साथ रणनीतिक पकड़ को और ठोस करेंगे।

4) पाकिस्तान को अलग-थलग करना-

आतंकवादी घटनाओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को विश्व समुदाय में अलग-थलग कर देने की नीति पर चल रहे हैं। उनकी मंशा है कि पाकिस्तान को यह समझ आए कि आतंकवाद को सामरिक नीति के रूप में बनाये रखना उसके स्वयं के वजूद के लिए खतरनाक है। ऐसी सोच से ही पाकिस्तान आतंकवाद का साथ छोड़ सकेगा, जब तक वह ऐसी सोच नहीं पैदा करेगा उसके ऊपर आर्थिक और सामरिक दबाव प्रधानमंत्री मोदी बढ़ाते जाएंगे।

5)आर्थिक विकास और सुरक्षा के लिए साझेदारी-

 प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति का मुख्य केन्द्र इंडिया फर्स्ट है। इस नीति के तहत भारत को किसी भी खेमे या गुट में नहीं रखा गया है। इसका सीधा उद्देश्य भारत के हितों के लिए हर देश का साथ समान रूप से स्वीकार है। इजरायल हो या सऊदी अरब हो या फिलस्तीन सबका साथ, सबके विकास के लिए जरुरी है।

6)फास्ट ट्रैक डिप्लोमेसी Fast track policy:-

 पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधार एवं भारत के आर्थिक विकास के लिए मोदी द्वारा फास्ट ट्रैक डिप्लोमेसी का अनुकरण किया है।

निष्कर्ष-

इस प्रकार यह कह सकते है कि मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल (2014) से द्वितीय कार्यकाल (2020)तक ऐसी ऐसी नीतियां बनाई है जिससे एक नए भारत का निर्माण हुआ है। भारत का स्थान न सिर्फ पड़ोसी देशों के बीच बल्कि विश्व के बड़े बड़े देशों जैसे अमेरिका , रूस, जापान के बीच सुदृढ़ हुआ है। मोदी ने न सिर्फ नई नई नीतियां बनाई बल्कि जो पुरानी नीतियां हैं उनका भी समयानुसार  परिवर्तन किया। जिससे यह स्पष्ट होता है कि मोदी की विदेश नीति बहुत दूरदर्शी है और समयानुकुल है।


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