[4]मराठा साम्राज्य S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi

मराठा साम्राज्य S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi
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Table of Contents

मराठा साम्राज्य S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi

मराठों का प्रारम्भिक इतिहास

मराठा साम्राज्य S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi
  • शिवाजी के आदि पूर्वज मेवाड के सिसौदिया वंश के थे।
  • जिस समय (1303 ई० में) अलाउद्दीन खिलजी ने मेवाड़ पर आक्रमण किया था। उस समय सज्जन सिंह (सुजान सिंह) महाराष्ट्र चले आए।
  • शुभकरण के वंशज भोंसले कहलाए। शुभकरण का पौत्र बालाजी भोंसले था। उसके दो पुत्र मालोजी और विठोजी थे।मालोजी को एक पुत्र हुआ जिसका नाम शाहजी रखा गया।
  • 1605 ई० को शाहजी का विवाह जीजाबाई के साथ हो गया। जीजाबाई लखुजी जाधव की पुत्री थी।
  • 1620 ई० में शाहजी जहाँगीर की सेवा में चले गए।
  • जहाँगीर के समय में मराठे पहली बार मुगलों की सेवा में (1620 ई०) गए।
  • जहाँगीर ने ही इन्हें सर्वप्रथम उमरा वर्ग में शामिल किया।
भातवाड़ी (मरवाड़ी) का युद्ध 1624 ई०
  • यह युद्ध मुगलों और अहमदनगर के बीच हुआ।
  • मुगलों की तरफ से परवेज, महावत खाँ और बीजापुर की सेना ने भाग लिया जबकि अहमदनगर की तरफ मलिक अम्बर और शाह जी थे। इस युद्ध में अहमदनगर की सेना विजयी रही।
  • इस युद्ध में लखुजी जाधव मुगलों की तरफ थे जबकि शाहजी अहमदनगर की तरफ।

1630 ई० में शाहजहाँ के समय में शाह जी भोंसले मुगलों की सेवा में चले गये। वे दो वर्ष तक वहाँ रहे। इन्हें शाहजहाँ ने 5000 का मनसब प्रदान किया।

  • 1634-36 ई० के बीच शाहजी का मुगलों से संघर्ष हुआ।
  • शाहजी पराजित हुए और शाहजहाँ से समझौता कर लिया।
  • अहमदनगर के समस्त किले शाहजहाँ को दे दिए। अहमदनगर मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया।

शिवाजी (1627-1680 ई०)

  • जन्म – 10 अप्रैल 1627 ई० , शिवनेर के किले में
  • माता – जीजाबाई (लाखूजी जाधवराव की पुत्री)
  • पिता – शाहजी
  • संरक्षक – दादोजी कोंडदेव
  • आध्यात्मिक गुरु – गुरु रामदास
  • विवाह – 1640 ई० में साईबाई से
शिवाजी के अभियान
  • शिवाजी का प्रारम्भिक सैनिक अभियान बीजापुर के आदिलशाही राज्य के विरुद्ध हुआ।
  • 1643 ई० में शिवाजी ने सर्वप्रथम सिंहगढ़ का किला जीता।
  • 1646 ई० में इन्होंने तोरण तथा मुरुम्बगढ़ (राजगढ़) के किलों पर अधिकार कर लिया।
  • 1647 ई० में शिवाजी ने कोण्डाना की विजय की।
  • 1647 ई० में ही शिवाजी ने ‘चाकन’ की विजय की।
  • 1654 ई० में शिवाजी ने ‘पुरंदर का किला जीता। यहाँ का किलेदार “नीलोजी नीलकंठ” था।
  • 1656 ई० में जावली विजय की।
  • 1656 ई० में शिवाजी ने जुन्नार किले की विजय की।
  • 1657 ई० में शिवाजी का पहली बार मुगलों (औरंगजेब) से मुकाबला हुआ, जब अहमदनगर तथा जुन्नार पर उन्होंने आक्रमण किया। इस संघर्ष में शिवाजी को पीछे हटना पड़ा।
  • अफजल खाँ से संघर्ष (1659 ई०)
  • 1659 ई० में बीजापुर राज्य ने अपने एक सरदार अफजलखाँ को शिवाजी को कैद करने या मार डालने के लिए भेजा।
  • शिवाजी ने 1659 ई० मे प्रतापगढ़ की लड़ाई में उसकी हत्या कर दी।
शाइस्ता खाँ से संघर्ष (1663 ई०)
  • 1660 ई० में औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खाँ को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया और शिवाजी को खत्म करने का आदेश दिया।
  • 1663 ई० को शिवाजी रात्रि के समय पूना में घुसे और शाइस्ता खाँ के निवास स्थान पर आक्रमण कर दिया। इस संघर्ष में शाइस्ता खाँ का अंगूठा कट गया और उसका पुत्र फतेह खाँ मार डाला गया।
  • औरंगजेब के पुत्र मुअज्जम को दक्कन का वायसराय नियुक्त किया गया।
सूरत की प्रथम लूट (8 जनवरी, (1664) ई०)
  • शिवाजी को सूरत की लूट में करीब 1 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
  • सूरत की अंग्रेज कोठी का अध्यक्ष सर जार्ज आक्साइडन था।
पुरन्दर की संधि (22 जून, 1665 ई०)
  • शिवाजी की बढ़ती शक्ति को दमन करने के लिए औरंगजेब ने आमेर के जयसिंह/ जयसिंह प्रथम को शिवाजी से निपटने का दायित्व दिया।
  • 1665 में शिवाजी को पुरंदर मे घेर लिया गया ।
  • शिवाजी और कछवाहा राजा जयसिंह के बीच 22 जून, 1665 ई० को पुरन्दर की संधि हो गई।
  • संधि की शर्ते –
  • (1) शिवाजी अपने 35 किलों में से 23 किले मुगलों को दे देंगे।
  • (2) शिवाजी मुगलों की तरफ से युद्ध एवं सेवा करेंगे।
  • (3) शिवाजी के पुत्र शम्भा जी को मुगल दरबार में 5000 का मनसब दिया जाएगा।
  • इसके पश्चात् जयसिंह ने शिवाजी को औरंगज़ेब से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिये आगरा भेजा, किंतु वहाँ औरंगज़ेब से शिवाजी का विवाद हो गया। फलतः शिवाजी एवं उनके पुत्र शंभाजी को आगरा में ही कैद कर लिया गया।
  • हीरोजी फर्जन्द शिवाजी का हमशक्ल था। शिवाजी बीमार पड़े तथा हीरोजी फर्जन्द को अपनी जगह लिटाकर मिठाई की टोकरी में छुप कर आगरा से बाहर निकल गए।
  • 1666 में शिवाजी औरंगजेब की कैद से फरार हो गए।
  • दक्षिण के सूबेदार मुअज्जम के माध्यम से 1668 ई० में शिवाजी ने औरंगजेब से संधि की प्रस्ताव रखा। औरंगजेब संधि के लिए तैयार हो गया। इसी समय उसने शिवाजी को ‘राजा’ की उपाधि दी ।
सूरत की दूसरी लूट (1670 ई०)
  • इसमें एक सोने की पालकी भी थी जो किसी ने औरंगजेब को भेंट देने के लिए बनवाई थी।
वाणी डिंडोरी का युद्ध 1670 ई०
  • इस युद्ध का वास्तविक स्थान कंचन-मंचन का दर्रा था।
  • सूरत से लूट कर वापस आते समय शिवाजी का मुगल सेना से सामना हुआ ।
  • मुगल सेना का नेतृत्व दाऊद खाँ और इखलास खाँ कर रहे थे।
  • विजय – मराठा शिवाजी की
  • शिवाजी ने (1671) ई० में सल्हेर के दुर्ग की विजय की।
  • बुन्देलखण्ड से छत्रसाल बुन्देला शिवाजी से मिलने रायगढ़ गया।
    शिवाजी ने (1673) ई० में पन्हाला दुर्ग की विजय की।
शिवाजी का राज्याभिषेक (6 जून, 1674 ई०)
  • शिवाजी का राज्याभिषेक 1674 ई० में रायगढ़ में हुआ।
  • राज्याभिषेक कराने के लिए काशी के प्रसिद्ध विद्वान विश्वेश्वर भट्ट अर्थात् गाग भट्ट को बुलाया।
  • हेनरी आक्साइडन उपस्थित था।
  • दूसरी पत्नी सोयराबाई के साथ इस अवसर पर पुनः विवाह किया।
  • 17 जून, 1674 ई० को माता जीजाबाई का देहान्त।
  • परिणामस्वरूप, शिवाजी का दूसरी बार राज्याभिषेक हुआ।
  • दूसरा राज्याभिषेक 24 सितम्बर, 1674 ई० को तांत्रिक तरीके से सम्पन्न हुआ।
  • इसे निश्वलपुरी गोसाईं नामक तांत्रिक ने सम्पन्न कराया।
कर्नाटक अभियान (1676-78 ई०)
  • यह शिवाजी को अन्तिम अभियान था।
  • जिजी का किला 1678 ई० में विजित किया। यहाँ का किलेदार अब्दुल्ला हब्शी था।
  • जिंजी की विजय शिवाजी की अन्तिम विजय थी।
मृत्यु
  • 3 अप्रैल, 1680 ई० को अत्यधिक ज्वर के कारण उनकी मृत्यु।
  • इनका अन्तिम संस्कार सोयराबाई से उत्पन्न बेटा ‘राजाराम’ ने सम्पन्न किया।
  • इनकी मृत्यु के समय सम्भाजी पन्हाला के किले में कैद था।
  • शिवाजी के सात पत्नियाँ थीं। उनकी एक अन्य पत्नी पुतलीबाई उनकी मृत्यु के बाद सती हो गई।

शिवाजी का प्रशासन

  • प्रशासन में शिवाजी की सहायता और परामर्श के लिए 8 मंत्रियों की एक परिषद थी इस अष्टप्रधान परिषद कहा जाता था ।
  • शिवाजी ने किसी भी मंत्री के पद को अनुवांशिक नहीं होने दिया।
  • पेशवा अथवा मुख्य प्रधान – संपूर्ण राज्य के शासन की देखभाल करना।
  • अमात्य (पन्त अथवा अजमुआदार) – राज्य का अर्थमंत्री । आय और व्यय की देखभाल करना।
  • मंत्री ( वाकयानवीस) – यह दरबारी लेखक के रूप में राजा के दैनिक कार्यों का लेख बद्ध करता था।
  • सुमंत (दबीर) – राज्य का विदेश मंत्री
  • सचिव (शुरूनवीस या चिटनिस) यह पत्राचार विभाग से संबंधित था ।
  • सेनापति (सरे – नौबत) – सेना की भर्ती, संगठन, उनकी आवश्यकता की पूर्ति करना।
  • न्यायाधीश
  • पंडितराव – धार्मिक मामलों में राजा का मुख्य सलाहकार
प्रान्तीय प्रशासन
  • शिवाजी ने मराठा राज्य को प्रशासन की दृष्टि से 5 भागों में बाँटा। इन्हें प्रान्त या सरसूबा कहा जाता था।
  • शिवाजी अपने क्षेत्र को ‘स्वराज’ नाम से पुकारते थे।
  • प्रान्त के सर्वोच्च अधिकारी को सरे-कारकुन या मुख्य देशाधिकारी या सर-सूबेदार के नाम से जाना जाता था।
  • (1) उत्तरी प्रान्त – मोरो त्रयम्बक पिंगले के अधीन
    (2) दक्षिण-पश्चिमी प्रान्त -अन्ना जी दत्तो के अधीन
    (3) दक्षिण पूर्वी प्रान्त – दत्तो जी पन्त के अधीन
    (4) दक्षिण प्रान्त – “रघुनाथ पन्त हनुमन्तै” के अधीन
  • प्रत्येक प्रान्त, महालों में विभक्त था। यहाँ का अधिकारी सरहवलदार होता था।
  • महालों को तर्कों में बाँटा गया था जो हवलदार नामक अधिकारी के अधीन था।
  • इसके अधीन कारकुन नामक अधिकारी होते थे।
  • गाँव सबसे छोटी इकाई थी। पटेल या पाटिल इसके मुखिया होते थे।
भू-राजस्व व्यवस्था
  • शिवाजी की भू-राजस्व व्यवस्था मलिक अम्बर की भू-राजस्व व्यवस्था पर आधारित थी।
  • शिवाजी ने अन्ना जी दत्तो के अधीन भूमि की विस्तृत माप करवाई।
  • माप का अधार जरीब थी, जिसे काठी कहा जाता था।
  • प्रारम्भ में उपज के आधार पर उपज का 1/3 भाग भूमिकर।
  • बाद में जब शिवाजी ने अन्य स्थानीय करों व चुंगियों को समाप्त कर दिया तब भूमि-कर बढ़ाकर 2/5 (40%) भाग कर दिया।
  • चौथ- राजस्व का 1/4 भाग । यह पड़ोसी राज्यों से वसूल की जाती थी।
  • सरदेशमुखी – राजस्व का 1/10 भाग। यह भी पड़ोसी राज्यों से वसूल की जाती थी।
सैन्य-प्रशासन
  • शिवाजी के सैन्य-प्रशासन में दुर्ग, तोपखाना, नौ-सेना, घुड़सवार सेना एवं पैदल सेना सम्मिलित थी ।
  • कारकुन – यह किले के गोदाम का अधिकारी होता था।
  • अश्वारोही सेना – शिवाजी की अश्वारोही सेना के संगठन को पागा कहा जाता था।
  • इसमें दो प्रकार के सैनिक होते थे – बरगीर एवं सिलेदार
  • पैदल सेना-पैदल सेना को पाइक कहा जाता था।
न्याय प्रशासन

शिवाजी का यह न्यायालय ‘धर्म-सभा’ या ‘हुजूर-हाजिर मजलिस’ कहा जाता था।

  • इतिहासकार स्मिथ शिवाजी के राज्य को “डाकू राज्य” कहता है।
  • औरंगजेब शिवाजी को “पहाड़ी चूहा” कहकर पुकारता था ।

शिवाजी के उत्तराधिकारी

शंभाजी (1680-89 ई.)
  • जन्म – मई 1657 में पुरंदर किले में।
  • माँ का नाम – साईबाई भोंसले ।
    पत्नी – येसूबाई
    पुत्र – शाहू
  • शिवाजी की मृत्यु के समय – पन्हाला किले में कैद बाद मे छोड़ दिया गया ।
  • राजधानी – रायगढ़
  • शिवाजी की मृत्यु के बाद किसी आधिकारिक उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की गई थी। अतः उनकी पत्नी सोयराबाई ने अपने पुत्र राजाराम का राज्याभिषेक कर दिया।
  • किंतु मराठा सेनापति हमीर (हम्बीर राव) मोहिते की सहायता से साईबाई के पुत्र शंभाजी शासक बन गये।
  • शंभाजी ने मुगल सूबेदार दिलेर खाँ से समझौता कर लिया जिसमें शंभाजी को 7 हजार का मनसब देना निश्चित हुआ।
  • शंभाजी ने निलोपंत को अपना पेशवा बनाया ।
  • उज्जैन/कन्नौज के कवि कलश को मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया ।
  • औरंगजेब के विद्रोही पुत्र मुहम्मद अकबर को संरक्षण दिया तो यह सहयोग मुगलों से संघर्ष का कारण बन गया।
  • 1689 के संगमेश्वर के युद्ध में मुगल सेनापति मुकर्रब खाँ ने शंभाजी व कवि कलश को कैद कर औरंगजेब के सामने पेश किया।
  • अनेक यातनाओं के बाद औरंगजेब के आदेश पर 11 मार्च, 1689 को इनकी निर्मम हत्या कर दी गई।
  • शंभाजी की पत्नी येसूबाई ने विरोध जारी रखा, किंतु शीघ्र ही अपने पुत्र शाहू के साथ गिरफ्तार कर ली गई।
  • शंभाजी ने शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ ‘अष्टप्रधान’ को नष्ट कर दिया ।
  • इन्हीं के समय से मराठे युद्ध में भी स्त्रियों को साथ ले जाने लगे।
राजाराम (1689-1700 ई.)
  • शंभाजी की मृत्यु के बाद राजाराम राजा हुआ ।
  • राजधानी – सतारा को बनाया।
  • मुगलो के आक्रमण के भय से राजाराम के पलायन का क्रम-
    प्रतापगढ़ -पन्हाला -जिंजी – सतारा।
  • कभी सिंहासन पर न बैठने वाला शासक कहा जाता है।
  • उसने 8 वर्ष तक जिंजी (अर्काट) के किले में शरण ले रखी थी। सतारा में मृत्यु।
  • उसने एक नए पद ‘प्रतिनिधि’ का गठन किया और पहला प्रतिनिधि प्रह्लाद निराजी को बनाया। प्रतिनिधि के बाद पेशवा का पदा
  • राजाराम के पास प्रह्लाद निराजी व रामचंद्र पंत जैसे राजनीतिज्ञ थे तो संताजी घोड़पड़े और धनाजी जाधव जैसे सेनापति भी थे।
  • राजाराम ने ‘सरंजाम’ प्रथा को पुनः शुरू कर दिया।
शिवाजी द्वितीय तथा ताराबाई (1700-1707 ई.)
  • यह दौर मराठा स्वतंत्रता संघर्ष से जाना जाता है।
  • राजाराम की मृत्यु के बाद उसका अल्पवयस्क पुत्र शिवाजी II शासक बना तथा राजाराम की पत्नी ताराबाई उसकी संरक्षिका बनी।
  • 1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु हो गई तथा जुल्फिकार खाँ के कहने पर आजमशाह ने शाहू जी को कैद से रिहा कर दिया।
शाहूजी (1707-1749 ई०)
  • ये शम्भाजी के पुत्र थे।
  • आजमशाह ने इन्हें 1707 ई० में छोड़ दिया।
  • खेड़ का युद्ध – 1707 ई० में खेड़ नामक स्थान पर शाहूजी और ताराबाई की सेना में युद्ध हुआ। ताराबाई की पराजय हुई और वह भागकर दक्षिणी महाराष्ट्र पहुँच गई।
  • शाहूजी ने सतारा को अपनी राजधानी बनाई तथा यहीं पर 1708 ई० में अपना राज्याभिषेक कराया।
  • इन्होंने एक नया पद ‘सेनाकर्ते’ (सेना को संगठित करने वाला) का गठन किया ।
  • बालाजी विश्वनाथ को सेनाकर्ते के पद पर नियुक्त किया।
  • इस तरह अब मराठा राज्य दो भागों में बँट गया – 1) उत्तर में सतारा राज्य जो शाहू के अधीन था 2) दक्षिण में कोल्हापुर राज्य जो शिवाजी द्वितीय के अधीन था।
राजाराम द्वितीय (1749-50 ई०)
  • शिवाजी द्वितीय के कोई पुत्र नहीं था।
  • ताराबाई के कहने पर तथाकथित शिवाजी द्वितीय के पुत्र राजाराम द्वितीय को छत्रपति बनाया गया।
  • 1750 ई० में बालाजी बाजीराव से राजाराम द्वितीय की “संगोला की सन्धि” हो गई। इस संधि के अनुसार, मराठा संगठन का वास्तविक नेता पेशवा बन गया।

पेशवा

बालाजी विश्वनाथ (1713-20)
  • बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का द्वितीय संस्थापक माना जाता है।
  • 1708 ई० में शाहू ने इन्हें सेनाकर्ते का पद प्रदान किया।
  • 1713 ई० में शाहू ने इन्हें पेशवा नियुक्त किया।
  • 1719 ई० में मुगल बादशाह की ओर से सय्यद हुसैन अली द्वारा मराठों से सन्धि की गई। इस सन्धि के अनुसार-
  • (1) मुगल बादशाह (रफी-उद्-दरजात) ने शाहू को महाराष्ट्र और शाहू द्वारा विजित प्रदेशों का स्वामी मान लिया।
  • (2) दक्षिण भारत के 6 सूबो से चौथ और सरदेशमुखी वसूल करने की अनुमति दे दी गई।
  • 3) इसके बदले में शाहू ने अवसर पड़ने पर मुगलों को 15000 घुड़सवार सैनिकों की सहायता देने और मुगल बादशाह को प्रतिवर्ष 10 लाख रुपये देना स्वीकार किया।
  • रिचर्ड टेम्पल ने इस सन्धि को मराठों का ‘मैग्नाकार्टा’ कहा है।
बाजीराव प्रथम(1720-40 ई०)
  • बाजीराव प्रथम ने शाहू से कहा कि “अब वक्त आ गया है कि जर्जर वृक्ष के तने पर प्रहार किया जाये तो हमारी सत्ता अटक से कटक तक स्थापित हो जायेगी।”
  • बाजीराव प्रथम ने ‘हिंदू पद पादशाही’ के आदर्श का प्रचार किया, जिसके तहत हिंदू शासकों को एकजुट करने का प्रयास किया गया।

‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी’ के प्रश्न पर हैदराबाद व बाजीराव के बीच 2 संघर्ष हुयेः-

  • 1728 का पालखेड का युद्ध, जिसमें निजाम पराजित हुआ और उसे ‘मुंगी शिवगांव की संधि’ करनी पड़ी।
  • 1737-38 का भोपाल का युद्ध, यहाँ भी निजाम को पराजित होकर ‘दुरई-सराय’ की संधि करनी पड़ी।
  • 1731 को वारना की संधि के द्वारा कोल्हापुर के शासक शांभाजी द्वितीय ने शाहू – सतारा की अधीनता स्वीकार ली। जो बाजीराव प्रथम की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
  • 1737 ई. में बाजीराव ने बड़ी तीव्रता से मात्र 500 सैनिकों के साथ दिल्ली पर आक्रमण किया और मुहम्मद शाह रंगीला को दिल्ली छोड़नी पड़ी।
  • 1739 ई. – मराठा ने चिमनाजी के नेतृत्व मे पुर्तगालियों से बसीन छीन लिया।
  • 1740 ई. – निजामुलमुल्क के पुत्र नासिरगंज के साथ मुंगी पैठन की संधि की।
  • गुजरात, मालवा व बुंदेलखंड को भी मराठों ने जीत लिया ।
  • शिवाजी के बाद गुरिल्ला पद्धति का सर्वश्रेष्ठ संचालक।
  • पुर्तगालियों से थाणे, सालसेट व बसीन प्राप्त किया।
  • 1740 में रावेरखेड़ी (खरगौन) में नर्मदा नदी के किनारे बाजीराव प्रथम ने अंतिम सांस ली।
  • संघीय ढाँचे की शुरुआत इसी के समय प्रारंभ होती है।
बालाजी बाजीराव (1740-61 ई.)
  • नाना साहब के नाम से प्रसिद्ध।
  • 1750 की संगोला की संधि – राजाराम द्वितीय + बालाजी बाजीराव । इससे मराठा साम्राज्य का वास्तविक नियंत्रण पेशवाओं के हाथ में आ गया और छत्रपति केवल नाममात्र के राजा रह गये। इसे पेशवाओं के लिये ‘राजनैतिक क्रांति’ कहा जाता है।
  • यह अपनी राजधानी सतारा से पूना ले आया।
  • इसके शासनकाल में मराठा साम्राज्य का अधिकतम विस्तार हुआ।
  • राजपूत क्षेत्रों से भी चौथ वसूलने लगा।
  • इसने ‘हिंदू पद पादशाही’ धर्म का उल्लंघन किया।
  • 1752 में निजाम को शिकस्त दी और निजाम को ‘भलकी की संधि’ करनी पड़ी।
  • 1757 में उसने निजाम को ‘सिंदरखेड़’ के युद्ध में हराया।
  • 1760 में उदगीर के युद्ध में निजाम पुनः परास्त हुआ।
  • इसने इमाद-उल-मुल्क को वजीर बनने में सहायता की।
पानीपत का तृतीय युद्ध (14 जनवरी, 1761 ई०)
  • बालाजी बाजीराव के समय की यह प्रमुख घटना है।
  • यह युद्ध मराठों और अफगानिस्तान के शासक अहमदशाह अब्दाली के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में अहमदशाह अब्दाली विजित हुआ और मराठे पराजित हुए।
  • इस युद्ध में नजीबुद्दौला ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला, रुहेला सरदार हाफिज रहमत खाँ और सादुल्ला खाँ से अब्दाली को समर्थन दिलवाया।
  • जाटों (सूरजमल), राजपूतों एवं सिक्खों ने भी मराठों का साथ नहीं दिया।
  • मल्हारराव होल्कर युद्ध के बीच में ही भाग निकला।
  • इब्राहिम खाँ गार्टी ने मराठा तोपखाने का नेतृत्व किया।
  • पानीपत के तृतीय युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी काशीराज पंडित थे।
माधवराव (1761-72 ई०)
  • हैदराबाद के निजाम और मैसूर के हैदरअली को चौथ देने के लिए बाध्य किया।
  • इसी के काल में मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय 1772 ई० में अंग्रेजों के संरक्षण को छोड़कर इलाहाबाद से दिल्ली आ गया और मराठों की संरक्षिता स्वीकार कर ली।
  • माधवराव इसी बीच 1772 ई० में क्षयरोग से मर गया।
नारायणराव (1772-73 ई०)
  • माधवराव की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई नारायणराव पेशवा बना।
माधव नारायणराव (1774-95 ई०)
  • नाना फड़नवीस के नेतृत्व में मराठा सरदारों ने मराठा राज्य की देखभाल के लिए “बारा भाई कीसिल” की नियुक्ति की।
  • नारायणराव की मृत्यु के बाद जन्मा उसका पुत्र माधव नारायणराव पेशवा बना।
बाजीराव द्वितीय (1795-1818 ई.)
  • यह रघुनाथराव का पुत्र था।
  • इसने अंग्रेजो के साथ 1802 ई. मे बसीन की संधि की। इस संधि के अनुसार –
  • 1) पेशवा ने अंग्रेजी संरक्षण स्वीकार कर एक अंग्रेजी सेना पूना में रखना स्वीकार किया।
  • 2) पेशवा ने गुजरात, ताप्ती तथा नर्मदा के मध्य के प्रदेश तथा तुगभद्रा नदी के सभी समीपवर्ती प्रदेश, जिनकी आय 26 लाख रुपए थी, कम्पनी को दे दिए।
  • 3) पेशवा ने सूरत नगर कम्पनी को दे दिया।
  • 4) पेशवा ने निजाम से चौथ प्राप्त करने का अधिकार छोड़ दिया तथा गायकवाड़ के विरुद्ध युद्ध न करने का वचन दिया।
  • 5) पेशवा ने अंग्रेजों के शत्रु किसी भी यूरोपीय को न रखना स्वीकार किया
  • 6) दूसरे राज्यों से अपने सम्बन्धों को स्थापित करने का अधिकार अंग्रेजों के नियंत्रण में दे दिया।
  • पूना की संधि (13 June 1817 ई०)
  • तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में पूना की संधि -बाजीराव द्वितीय + अंग्रेज
  • 1818 ई० में बाजीराव द्वितीय को 8 लाख रु. वार्षिक पेन्शन देकर बिठुर भेज दिया गया।

आंग्ल – मराठा युद्ध

आंग्ल - मराठा युद्ध
आंग्ल – मराठा युद्ध

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2 thoughts on “[4]मराठा साम्राज्य S.K Pandey Aadhunik Bharat Book Notes in Hindi”

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